‘बिहार की जलवायु अनुकूलन एवं Low Carbon Emission विकास रणनीति’ के क्रियान्वयन संबंधित क्षमता विकास कार्यक्रम अंतर्गत गया में कार्यशाला आयोजित

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‘बिहार राज्य की जलवायु अनुकूलन एवं Low Carbon Emission विकास रणनीति’ के क्रियान्वयन संबंधित क्षमता विकास कार्यक्रम अंतर्गत गया में कार्यशाला आयोजित

गया: शनिवार को गया में कार्बन न्यूट्रल राज्य बनाने की दिशा में ‘बिहार राज्य की जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्सर्जन विकास रणनीति’ के क्रियान्वयन संबंधित क्षमता विकास कार्यक्रम अंतर्गत प्रमंडलीय स्तर प्रसार कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने किया।

उन्होंने ऑनलाइन माध्यम से अपना अध्यक्षीय संबोधन दिया, जिसमे उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को गंभीरता से लेते हुए इस रणनीति को लागू करने के महत्त्व पर जोर दिया और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इसलिए, बिहार के लिए इस ‘बिहार राज्य की जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्‍सर्जन विकास रणनीति’ पर काम करना आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी जलवायु को सरंक्षित करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है।

अपने स्वागत संबोधन में गया के बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के क्षेत्रीय पदाधिकारी मनोरंजन कुमार सिंह ने कार्यशाला का संक्षिप्त परिचय दिया और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति बिहार की संवेदनशीलता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बिहार में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए ‘जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्सर्जन विकास रणनीति’ अत्यंत आवश्यक है।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के सदस्य सचिव नीरज नारायण ने विशेष संबोधन में कहा कि भारत सरकार के संकल्प के अनुसरण में, बिहार ने 2070 तक राज्य को कार्बन न्यूट्रल बनाने का संकल्प लिया है। यह लक्ष्य राज्य सरकार के विभिन्न विभागों जैसे ऊर्जा, कृषि, परिवहन और जल संसाधन विभाग सहित अन्य हितधारकों के बीच समन्वित प्रयासों से प्राप्त किया जा सकता है। पिछले 2.5 वर्षों से जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्‍सर्जन विकास रणनीति पर कार्य हो रहा है, जिसके अंतर्गत 250 से अधिक हितधारक परामर्श बैठकें हुईं, जिनके परिणामस्वरूप इस रणनीति का निर्माण किया गया है।

गया के नगर आयुक्त कुमार अनुराग ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार में बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए जलवायु अनुकूलन रणनीतियों को अपनाना महत्वपूर्ण है, ताकि प्रदेश की आर्थिक और पर्यावरणीय समृद्धि को सुरक्षित रखा जा सके। बिहार ने जलवायु कार्रवाई के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं, जिसमें ‘बिहार राज्य की जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्‍सर्जन विकास रणनीति’ शामिल है। यह रिपोर्ट जलवायु अनुकूलता और अनुकूलन के लिए उठाए जाने वाले कदमों की बात करती है।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक नवीन कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चिंता का विषय है। इस मुद्दे की तात्कालिकता को स्वीकारते हुए, बिहार सरकार और UNEP ने फरवरी 2021 में जलवायु-लचीला और निम्न-कार्बन विकास पथ के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस परियोजना पर एक रिपोर्ट इस साल मार्च में जारी की गई थी।

कार्यशाला की विस्तृत जानकारी डब्लूआरआई इंडिया के वरीय प्रोग्राम प्रबंधक डॉ शशिधर कुमार द्वारा दी गई। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बिहार राज्य लगभग 9.7 करोड़ टन कार्बन डाईऑक्‍साइड के समतुल्‍य कार्बन उत्‍सर्जन करता है, जो कि भारत के सम्पूर्ण उत्सर्जन का लगभग 3% है। आने वाले वर्षों में राज्य में विकास की गति बढ़ने से कार्बन उत्सर्जन और भी बढ़ सकता है, लेकिन नेट ज़ीरो रणनीति को अपनाने से कार्बन उत्सर्जन में तुलनात्मक रूप से कमी लायी जा सकती है, परिणाम स्वरूप जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को भी कम किया जा सकता है।

डॉ शशिधर ने अपने वक्तव्य में कहा कि बिहार में पिछले 50 सालों में तापमान में 0.8 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है और 2030 तक तापमान में 0.8- 1.3 डिग्री सेल्सियस, 2050 तक 1.4- 1.7 डिग्री सेल्सियस और 2070 तक 1.8-2.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने का अनुमान है। इसके अलावा अब मानसून की शुरुआत में देरी हो रही है। जलवायु परिवर्तन अनुकूलन उपायों के बारे में बताते हुए उन्होंने फसल एवं कृषि प्रणाली में विविधता, सतही और भूजल का एकीकृत प्रबंधन, वन पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा, संरक्षण और पुनर्जनन, निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना और आपदा के समय आजीविका की सुरक्षा और संवर्द्धन का उल्लेख किया।

कार्यशाला के दौरान J WIRES के जोनल मैनेजर गौरव ने क्षेत्रीय पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा (RE) के महत्त्व, ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका संवर्द्धन और संवर्धन पर बल दिया। इसके साथ ही उन्होंने जीवनशैली में सुधार लाने के लिए ऊर्जा दक्ष खाना पकाने की प्रणाली, जीविका एनर्जी एफिशिएंट कुकिंग सिस्टम की महत्ता पर प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि इन उपायों से न केवल ग्रामीण समुदायों में आर्थिक सशक्तिकरण होगा, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता भी सुनिश्चित की जा सकेगी, जिससे बिहार के जलवायु अनुकूलन प्रयासों को मजबूती मिलेगी। कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न विभागों के अधिकारीगण एवं अन्य हितधारकों ने भी अपने विचार साझा किये। कार्यशाला के अंत में टोनी कुमारी, एसडीसी गया ने सभी को धन्यवाद प्रेषित किया।

https://www.youtube.com/@22scopebihar/videos

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