संविधान दिवस पर बोले पीएम मोदी – संविधान हमारा मार्गदर्शक

डिजीटल डेस्क : संविधान दिवस पर बोले पीएम मोदी – संविधान हमारा मार्गदर्शक। संविधान दिवस पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि –‘हमारा संविधान, हमारे वर्तमान और हमारे भविष्य का मार्गदर्शक है।

…बीते 75 वर्षों में देश के सामने जो भी चुनौतियां आई हैं। हमारे संविधान ने हर चुनौती का समाधान करने के लिए उचित मार्ग दिखाया है। संविधान ने आपातकाल का सामना किया। संविधान से मिली शक्ति की वजह से ही आज जम्मू-कश्मीर में भी बाबा साहब आंबेडकर का संविधान पूरी तरह लागू हुआ है। आज पहली बार वहां भी संविधान दिवस मनाया जा रहा है’।

पीएम बोले – भारतीय संविधान को जीवंत रखेगी राष्ट्र प्रथम की भावना

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि – ‘…डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा में अपने भाषण में कहा था कि भारत को ईमानदार लोगों के समूह की जरूरत है जो देश के हित को अपने से ऊपर रखते हैं। राष्ट्र प्रथम की यह भावना आने वाले कई वर्षों तक भारतीय संविधान को जीवंत रखेगी।

…मैंने उस मर्यादा का पालन करने की कोशिश की जो संविधान ने मुझसे मांगी थी, मैंने उसका अतिक्रमण करने की कोशिश नहीं की।

…संविधान सभा की बहस के दौरान बाबा साहब आंबेडकर ने कहा था कि संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज नहीं है। इसकी भावना हमेशा युग की भावना है। हमारे संविधान निर्माता ये जानते थे कि भारत की आकांक्षाएं, भारत के सपने समय के साथ नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे। वो जानते थे कि आजाद भारत की और भारत के नागरिकों की जरूरतें बदलेंगी, चुनौतियां बदलेंगी।

…इसलिए उन्होंने हमारे संविधान को महज कानून की एक किताब बनाकर नहीं छोड़ा… बल्कि इसको एक जीवंत, निरंतर प्रवाहमान धारा बनाया’।

सुप्रीम कोर्ट के संविधान दिवस वाले कार्यक्रम में पीएम नरेद्र मोदी।
सुप्रीम कोर्ट के संविधान दिवस वाले कार्यक्रम में पीएम नरेद्र मोदी।

प्रधानमंभी ने कहा – देश की सुरक्षा को चुनौती देने वालों को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि – ‘मैं देश का यह संकल्प दोहराता हूं कि भारत की सुरक्षा को चुनौती देने वाले हर आतंकी संगठन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। …सभी को संविधान दिवस की बधाई। भारत के संविधान का ये 75वां साल पूरे देश के लिए एक गौरव का विषय है। आज मुंबई में हुए आतंकी हमले की भी बरसी है। इस हमले जिनकी मृत्यु हुई उनको मैं श्रद्धांजलि देता हूं। .

… भारत के हर नागरिक का सपना विकसित भारत है। इसी ध्येय से हम काम कर रहे हैं। हमने दिव्यांगों को पहचान दिलाई है। हमने संविधान की भावना को सशक्त किया है। हमने त्वरित न्याय के लिए न्याय संहिता लागू की है। पिछले 10 साल में 53 करोड़ से ज्यादा भारतीयों के बैंक खाते खुले, जो बैंक के दरवाजे तक नहीं पहुंच पाए। पिछले 10 साल में 4 करोड़ से ज्यादा भारतीयों के घर पक्के हुए’।

सुप्रीम कोर्ट के संविधान दिवस वाले कार्यक्रम में पीएम नरेद्र मोदी।
सुप्रीम कोर्ट के संविधान दिवस वाले कार्यक्रम में पीएम नरेद्र मोदी।

पीएम मोदी ने कहा – अब न्याय आधारित व्यवस्था में बदल चुकी है दंड आधारित व्यवस्था

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि – ‘संविधान की मूल प्रति में भगवान राम, माता सीता की तस्वीरें हैं। भारतीय संस्कृति के प्रतीक चित्र इसलिए हैं ताकि वो हमें मानवीय मूल्यों की याद दिलाते रहें। ये मानवीय मूल्य आज के भारत की नीतियों और निर्णयों का आधार हैं।

…भारतीयों को त्वरित न्याय मिले, इसके लिए नई न्याय संहिता लागू की गई है। दंड आधारित व्यवस्था अब न्याय आधारित व्यवस्था में बदल चुकी है।

…पिछले 10 वर्षों में 53 करोड़ से ज्यादा ऐसे भारतीयों का बैंक खाता खुला है, जो बैंक के दरवाजे तक नहीं पहुंच पाते थे। एक समय था जब वरिष्ठ नागरिकों को बैंकों में जाकर यह साबित करना पड़ता था कि वे जीवित हैं। आज वरिष्ठ नागरिक डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं।

…देश के 100 जिले विकास की गति में आगे बढ़ रहे हैं। लोगों की रोजमर्रा जिंदगी की परेशानी दूर करने का काम भी चल रहा है। कुछ साल पहले तक देश में ढाई करोड़ घर अंधेरे में डूब जाते थे। देश में सबको बिजली कनेक्शन देकर हमने घरों को रोशन किया। सुदूर इलाकों में हजारों मोबाइल टावर लगाए गए। ताकि लोगों को 4 जी और 5 जी कनेक्शन की सुविधा मिले।

…आज यह आसान लगता है कि लोगों को नल से पानी मिल रहा है, लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी सिर्फ तीन करोड़ घरों में ये सुविधा थी’।

सीजेआई संजीव खन्ना।
सीजेआई संजीव खन्ना।

सीजेआई बोले – भारत की सांविधानिक अदालतें दुनिया की सबसे शक्तिशाली अदालतों में शुमार…

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने कहा कि – ‘हम जो भी निर्णय देते हैं, वह एक शून्य-योग खेल होता है। कुछ लोग जश्न मनाते हैं और कुछ आलोचना करते हैं। यह द्वंद्व है जो न्यायालयों के कामकाज में जांच को आमंत्रित करता है।

…भारत की सांविधानिक अदालतें दुनिया की सबसे शक्तिशाली अदालतों में से हैं। न्यायाधीशों के रूप में दृष्टिकोण और आलोचना मायने रखती है। क्योंकि हमारा सबसे पहला कर्तव्य जनता के प्रति है और दूसरा खुला और पारदर्शी होना  न्यायपालिका की सबसे बड़ी ताकत है’।

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