डिजिटल डेस्क : संसद में बिहार की बहार, अब मैथिली में भी अनुवाद सुन सकेंगे सांसद। संसद में जारी बजट सत्र के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार ने मंगलवार को बिहार को एक और सौगात दिया है। व्यवस्था दी गई है कि अब संसद में सदस्य मैथिली में भी कार्यवाही का अनुवाद सुन सकेंगे।
इसे लेकर संसद के गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है कि मोदी सरकार के इस बजट सत्र में बिहार के बहार की बयार बह रही है। लोकसभा में आज मैथिली को उन भाषाओं में शामिल कर लिया गया, जिसमें सदन के सदस्य चाहें तो फ्लोर पर किसी भी बोली में बोली जा रही भाषा को मैथिली में सुन सकते हैं।
यूं समझिए कि अगर सदन में कोई सदस्य हिंदी, अंग्रेजी या किसी अन्य आधिकारिक भाषा में अपनी बात रख रहा हो तो सदन के सदस्य उसे मैथिली में सुन सकते हैं। ये फैसला मंगलवार को बजट सत्र के दौरान लिया गया।
मैथिली वाला बिहार का नया तोहफा भी काफी अहम
बिहार के लिए पीएम मोदी ने चुनावी तोहफों की बरसात कर दी है। अब सदन में सदस्य चाहें तो बाकी भाषाओं के साथ मैथिली में भी ट्रांसलेशन सुन सकेंगे। पीएम मोदी का ये तोहफा मिथिलांचल के लिए बड़ी सौगात माना जा रहा है।हालांकि मैथिली पहले से ही (2003) आठवीं अनुसूची में शामिल है। लेकिन आज का तोहफा भी कम नहीं है।
लोकसभा में बजट सत्र के दौरान मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार को एक और तोहफा दिया। ये तोहफा मिथिलांचल की भाषा मैथिली से जुड़ा हुआ है। संसद के गलियारे में मंगलवार को यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि इस बिहार चुनाव 2025 से पहले केंद्र ने मिथिलांचल के लिए गिफ्ट का मैजिक बॉक्स खोल दिया है।
मिथिलांचल में एक कहावत है कि ‘पग-पग पोखर, माछ, मखान… सरल बोल मुस्की मुख पान।’ यानी मिथिलांचल वो जगह है जहां हर कदम पर पोखर, मछली और मखाना मिल जाएंगे। खासतौर पर पान खाते हुए लोग मुस्कुराते हुए मिलेंगे। यही मिथिलांचल की पहचान है। उसी अंचल के लिए पहले मखाना और मैथिली को केंद्र सरकार ने अहमियत तो उसी के बहाने बिहार सुर्खियों में बना हुआ है।
![केंद्रीय मंत्री ललन सिंह।](https://i0.wp.com/22scope.com/wp-content/uploads/2025/02/%E0%A4%B2%E0%A4%B2%E0%A4%A8-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9.jpg?resize=417%2C279&ssl=1)
मछली को लेकर लोकसभा में मंगलवार को छाया रहा बिहार…
लोकसभा में मंगलवार को मछली उत्पादन और बिक्री को लेकर हुई चर्चा के दौरान भी बिहार पूरे सदन में छाया रहा। इससे जुड़े सवाल और जवाब के क्रम में कई सियासी दलों के सदस्य भी बीच में बोले लेकिन कुल मिलाकर बिहार के सदस्यों की ही टिप्पणियां सदन में छाई रहीं।
केंद्रीय मंत्री ललन सिंह मछली की मार्केटिंग को लेकर अपनी बात कह रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘जहां तक फिश मार्केटिंग का सवाल है, वहां… गिरिराज जी भी जानते हैं। गिरिराज जी भी मछली खाते हैं।’ उनके इतना कहते ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने गिरिराज सिंह का नाम लिया।
ललन सिंह ने फिर से कहा कि ‘गिरिराज जी भी मछली खाते हैं।’ तभी सदन में पीछे से आवाज आई कि ‘खाते हैं लेकिन खिलाते नहीं हैं।’ इसके बाद सदन में ठहाके गूंज उठे। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला भी मुस्कुराते नजर आए।
![राजीव रूड़ी की फाइल फोटो](https://i0.wp.com/22scope.com/wp-content/uploads/2025/02/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5-%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%B2-%E0%A4%AB%E0%A5%8B%E0%A4%9F%E0%A5%8B.jpg?resize=485%2C306&ssl=1)
मछली पर चर्चा के दौरान रूड़ी की बात पर बोले स्पीकर – मैं मछली नहीं खाता…
लोकसभा में मंगलवार को मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय से संबंधित पूरक प्रश्न पूछते हुए भाजपा के राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि ‘देश में 95 करोड़ लोग मछली खाते हैं और एक करोड़ लोग मछली का उत्पादन करते हैं। अध्यक्ष जी, पता नहीं आप मछली खाते हैं या नहीं।’
इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि – ‘मैं नहीं खाता। मैं शाकाहारी हूं।’ इसी विषय पर एक पूरक प्रश्न पूछते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि जब जदयू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह मंत्री नहीं थे, तो वे पूछते थे कि उन्हें हिलसा (मछली की एक किस्म) कब खिलाई जाएगी। अध्यक्ष बिरला ने बनर्जी से प्रश्न पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।
रूड़ी के पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद पिछले एक दशक में मछली की पैदावार 100 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है।