रांची: झारखंड विधानसभा में मनरेगा के अंतर्गत मजदूरी और सामग्री मद में करोड़ों रुपये की बकाया राशि को लेकर जोरदार बहस हुई। विधायक कल्पना सोरेन ने सरकार से इस विलंबित भुगतान पर जवाब मांगा, जिसके जवाब में मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने केंद्र सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।
कल्पना सोरेन ने सदन में सवाल उठाते हुए कहा कि झारखंड में मनरेगा के तहत मजदूरी मद में ₹533 करोड़ और सामग्री मद में ₹643 करोड़ की राशि बकाया है। उन्होंने सरकार से पूछा कि इस बकाया भुगतान में हुई देरी के लिए कौन जिम्मेदार है और क्या इसके लिए किसी पदाधिकारी पर कार्रवाई होगी।
मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार की ओर से लगातार केंद्र को पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन बकाया राशि जारी नहीं की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें राज्य सरकार के अधिकारियों की कोई गलती नहीं है, इसलिए किसी पर कार्रवाई की संभावना नहीं है।
मंत्री ने बताया कि झारखंड में मनरेगा के तहत मजदूरी दर अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम है। उदाहरण के तौर पर, हरियाणा में यह दर ₹376 है, जबकि झारखंड में केवल ₹235 दी जाती है। उन्होंने कहा कि झारखंड के ग्रामीण मजदूरों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए मजदूरी दर बढ़ाने की जरूरत है।
संसदीय कार्य मंत्री ने इस मुद्दे पर कहा कि झारखंड के साथ केंद्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार को अक्टूबर 2024 से ही झारखंड को मनरेगा मद में ₹1100 करोड़ जारी करना था, लेकिन अब तक यह राशि नहीं मिली। उन्होंने यह भी कहा कि जल जीवन मिशन के तहत झारखंड को 6300 करोड़ की सहायता दी गई थी, लेकिन मनरेगा के तहत अनुदान की ₹1000 करोड़ की राशि भी अब तक नहीं मिली है।
मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने कहा कि झारखंड सरकार अपने संसाधनों से मनरेगा के भुगतान में सुधार के लिए वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही अन्य योजनाओं का भी हवाला दिया और कहा कि झारखंड सरकार मजदूरों की भलाई के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि मनरेगा के मजदूरों को 100 दिन के बजाय 150 दिन का रोजगार मिले। साथ ही, मजदूरी दर को ₹400 करने की मांग केंद्र सरकार के समक्ष रखी जाएगी।
