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Sunday, October 5, 2025

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Bihar में बाहर आया 30 वर्ष पुराने घोटाले का जिन्न, सरकार वापस लेगी 950 करोड़ रूपये…

पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल के दौरान ही बिहार का सबसे बड़ा घोटाला से पर्दाफाश हुआ था। मामला सामने आने के बाद से लेकर अब तक पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। फ़िलहाल लालू यादव इस मामले में सजायाफ्ता हैं और बेल पर हैं इस बीच एक बार फिर उनकी मुश्किलें बढने लगी है। अब राज्य की सरकार ने घोटाले की राशि वापस लाने का निर्णय लिया है। Bihar Bihar Bihar Bihar Bihar 

इस मामले में उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार ने चारा घोटाला में गबन किये गए 950 करोड़ रूपये वापस लाने के निर्णय लिया है। इस मामले में राज्य सरकार सभी जांच एजेंसियों से बातचीत करेगी साथ ही अन्य उपायों पर भी विचार करेगी। राज्य सरकार के इस फैसले के बाद से अब बिहार में एक बार फिर से राजनीति तेज हो गई है।

एक तरफ सत्ता पक्ष के नेता राज्य सरकार के फैसले की सराहना कर रहे हैं और कह रहे हैं राज्य के जनता की गाढ़ी कमाई जिन लोगों ने गबन किया था अगर राज्य सरकार उनसे वह राशि वापस लेती है तो यह बेहद सराहनीय कदम है। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने राज्य सरकार के फैसले पर ही सवाल उठा दिया और कोर्ट में मामला लंबित होने का हवाला देकर फैसला आने तक इंतजार करने की नसीहत दी है। Bihar Bihar Bihar Bihar Bihar 

कोर्ट भी जा सकती है Bihar सरकार

मामले में उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि चारा घोटाला में 950 करोड़ रूपये की राशि का गबन हुआ था। अब राज्य सरकार ने फैसला किया है कि घोटाले के सभी आरोपियों से उस राशि की वसूली की जाएगी। इसके लिए सभी संबंधित एजेंसियों से बातचीत की जा रही है और अगर जरूरत पड़ी तो सरकार कोर्ट भी जाएगी।

भाजपा नेताओं ने जाहिर की ख़ुशी

वहीं इस मामले में भाजपा के अन्य नेता भी काफी खुश दिखाई दे रहे हैं। भाजपा के मीडिया प्रभारी दानिश इक़बाल ने कहा कि राज्य सरकार ने बेहतर फैसला लिया है। चारा घोटाले में जो भी पैसे लूटे गए वह पैसे राज्य की जनता के हैं और जनता के पैसे अगर कोई लूटता है तो उसे सजा होती है। निश्चित रूप से आरोपियों की संपत्ति जब्त कर जनता के लूटे गए पैसे वापस लिए जाने चाहिए। Bihar Bihar 

संपत्ति जब्त कर गरीबों के लिए चलाई जानी चाहिए योजनाएं

इस मामले में जदयू ने भी राज्य सरकार के फैसले की सराहना की। मामले में जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि जनता के पैसे जिसने लूटे अगर सरकार घोटाला के आरोपियों की संपत्ति जब्त कर पैसे वापस लाती है तो यह बेहतर कदम है। इन लोगों की संपत्ति जब्त करने के बाद उस पर अंबेडकर छात्रावास समेत अन्य वैसी योजनाएं चलानी चाहिए जो गरीबों के हित में हो।

फैसला स्वागतयोग्य लेकिन ध्यान रहे…

मामले में विपक्ष ने भी अपना पक्ष रखा है। मामले में अपना पक्ष रखते हुए घोसी विधानसभा क्षेत्र से सीपीआईएम विधायक रामवली सिंह यादव ने कहा कि हम सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं। सरकार ने जिस तरह से यह फैसला लिया है तो यह ध्यान रखना चाहिए कि तुष्टिकरण के चक्कर में पिछड़ा या अति पिछड़ा वर्ग के किसी लोगों पर गलत कार्रवाई न हो। उन्होंने जदयू भाजपा पर भी निशाना साधा और कहा कि जदयू भाजपा में भी ऐसे लोग भरे पड़े हैं जिनका चारा घोटाला से रिश्ता रहा है तो सरकार उनकी संपत्ति भी जब्त करे।

सरकार के फैसले पर सवाल

मामले में राजद ने राज्य सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा किया और कहा कि मामला जब न्यायालय में विचाराधीन है तो फिर इस तरह के कदम की क्या जरूरत है। मामले में राजद के विधायक रामवृक्ष सदा ने कहा कि बिहार सरकार बड़ी है या फिर न्यायालय। जब मामला न्यायालय में लंबित है तो उस पर फैसला भी कोर्ट को ही लेना है। इसी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को बेल मिल गया था जबकि पिछड़े और अत्यंत पिछड़े वर्ग के लोगों को जेल भेज दिया गया था।

राज्य सरकार इस प्रकरण की आड़ में पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के लोगों को परेशान न करे। रामवृक्ष सदा ने उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब यह मामला हुआ था उस वक्त वह और उनके पिताजी भी हमारी पार्टी में थे। मामले में कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए और कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होगा। राजनीतिक द्वेष में इस तरह की राजनीति सही नहीं है। Bihar Bihar 

बता दें कि राजद सुप्रीमो लालू यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए वर्ष 1996 में चारा घोटाला सामने आया था। इस मामले में राजद सुप्रीमो लालू यादव समेत कई लोगों को आरोपी बनाया गया था। कोर्ट के आदेश पर यह मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंपा गया था साथ ही आदेश दिया गया था कि घोटाले की रकम भी वापस ली जाये लेकिन सीबीआई रकम वापस लाने में विफल रही। सीबीआई ने इस मामले में कुल 50 मामले दर्ज किये थे जिसमें अब तक तीन मामलों में लालू यादव को दोषी मानते हुए कोर्ट ने करीब 13 वर्ष की सजा सुनाई जबकि अन्य मामले अभी भी न्यायालय में चल रहे हैं।

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पटना से महीप राज की रिपोर्ट

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