Ranchi : झारखंड सरकार में मंत्री हफीजुल हसन ने हाल ही में अपने बयान को लेकर उठे विवाद पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि उनका पूरा सार्वजनिक जीवन संविधान की मूल भावना-समावेशिता और सामाजिक न्याय-को समर्पित रहा है। उन्होंने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि संविधान उनके लिए सर्वोपरि है और उन्होंने हमेशा जाति, धर्म, वर्ग और क्षेत्र से ऊपर उठकर कार्य किया है।
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Jharkhand Politics : हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है संविधान-हफिजूल हसन
अपने बयान में उन्होंने कहा कि संविधान भारत के हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है, और यह सरकारों की जिम्मेदारी है कि सभी नागरिक अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को सुरक्षित महसूस करें। उन्होंने यह भी कहा कि हाल के समय में कुछ केंद्रीय मंत्रियों द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ की गई नफरती टिप्पणियाँ बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
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हसन ने स्पष्ट किया कि उनका कोई भी कथन संविधान के विरुद्ध नहीं रहा है और वे हमेशा सामाजिक समरसता के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हर किसी को अपने धर्म से प्रेम करने का अधिकार है, लेकिन यह प्रेम किसी दूसरे धर्म के प्रति नफरत का रूप नहीं लेना चाहिए।”
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मंत्री ने भरोसा दिलाया कि वे अपने कर्तव्यों का पालन पूरी तरह से संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप करते रहेंगे और सभी वर्गों एवं समुदायों के लिए न्याय, समानता और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।
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