रांची: राजधानी के धुर्वा इलाके में 656 एकड़ जमीन पर विकसित किए गए रांची स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अब निवेशकों का भरोसा डगमगाने लगा है। स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन ने जमीन बेचकर भले ही 500 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई कर ली हो, लेकिन आम लोगों के लिए वादा किए गए 4000 फ्लैट, मॉल, मेडिकल कॉलेज, टेक्निकल कॉलेज, स्कूल और फाइव स्टार होटल के निर्माण का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
असल में, जिन निवेशकों को जमीन आवंटित की गई है, वे अपने प्लॉट का म्यूटेशन (नामांतरण) नहीं करवा पा रहे हैं। म्यूटेशन नहीं होने से भवन निर्माण का नक्शा पास नहीं हो रहा है और प्रोजेक्ट फंसे हुए हैं। जानकारी के मुताबिक, अब तक दो अपार्टमेंट, एक मॉल और एक मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का नक्शा स्वीकृति के लिए टाउन प्लानिंग विभाग को भेजा गया था, लेकिन विभाग ने उसे तकनीकी कारणों से वापस कर दिया।
स्थिति यह है कि कई निवेशकों ने अब पीछे हटने का मन बना लिया है। चैलेस रियल एस्टेट कंपनी ने रांची हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने 100 करोड़ रुपए वापस मांगे हैं, जो उसने एक आवासीय और एक मिक्स्ड यूज प्लॉट के लिए जमा किए थे। कोर्ट ने आदेश दिया कि प्लॉट आवंटन की शर्त के अनुसार पांच फीसदी राशि काटकर शेष रकम लौटाई जाए। आदेश के बाद स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन ने 95 करोड़ रुपए लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
निवेशकों के पीछे हटने से रांची स्मार्ट सिटी का भविष्य अधर में लटक गया है। आम जनता को अब इंतजार है कि जिन सुविधाओं का सपना दिखाया गया था, वे धरातल पर कब उतरेंगी।