पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में आरोप प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है। एक बार फिर बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राज्य में कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार को लेकर राज्य सरकार को घेरने की कोशिश की है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि 20 वर्षों की एनडीए सरकार व मुख्यमंत्री जी के मीडिया प्रबंधन के बल पर बनाई गई सुशासनी छवि का दिखावटी पर्दा अब पूर्णरूपेण उतर चुका है। बिहार के कोने-कोने में घटित आपराधिक घटनाओं और चहुँओर व्याप्त भ्रष्टाचार ने बिहार की सच्चाई आपके समक्ष रख दी है।
अपराधियों और भ्रष्ट अधिकारियों का गठजोड़ अब बिहार की व्यवस्था का हिस्सा बन चुका है। जाति-धर्म और अघोषित DK टैक्स अधिनियम के अंतर्गत होने वाले ट्रांसफर-पोस्टिंग उद्योग ने भ्रष्टाचार का एक स्थायी संस्थागत ढांचा बना दिया है। जो उसमें फिट बैठेगा वही फ़ील्ड की पोस्टिंग पाएगा। गांव से लेकर सचिवालय तक कोई भी काम बिना घूस के नहीं होता। गरीब पेंशन के लिए दर-दर भटकता है, किसान मुआवजे के लिए चक्कर लगाता है, छात्रवृत्ति पाने के लिए विद्यार्थी गिड़गिड़ाते है लेकिन इस भ्रष्ट एनडीए सरकार के हर दरवाजे पर “प्रीपेड टैक्स” यानी रिश्वत देनी पड़ती है।
बीजेपी नीत एनडीए शासन में अफसरों की पोस्टिंग धर्म, जाति और DK टैक्स के आधार पर होती है। योग्यता, दक्षता, परिणाम और ईमानदारी जैसे शब्द इस सरकार के प्रशासनिक शब्दकोश से गायब हो चुके हैं। DK टैक्स के बल पर विजय हुए “सम्राट” के हर निर्णय ने बिहार पुलिस की मारक क्षमता को इस कदर कुंद कर दिया है कि अपराधी बेखौफ होकर घर, अस्पताल, सड़क, कोर्ट और थाने तक में घुसकर निर्मम हत्याएं कर रहे हैं। थाना स्तर पर पोस्टिंग अब केवल वसूली के अधिकार की तरह बांटी जाती है। जिन अफसरों में असली पुलिसिंग की काबिलियत है, उन्हें हाशिए पर डाल दिया गया है क्योंकि वो संविधान सम्मत कार्य करते है राजनीतिक बंदी के तौर पर नहीं।
मुख्यमंत्री जी, अगर आप होश में है तो मैं सिर्फ एक ही सलाह और सुझाव दूँगा कि दूंगा, “राज्य को धर्म, जाति, DK टैक्स और चाटुकारिता से नहीं, बल्कि योग्यता, ईमानदारी और दक्षता से चलाइए।” अगर यह सोच आज नहीं बदली, तो इतिहास आपको बीजेपी के निर्देश पर चलने वाले एक असफल शासक के रूप में याद रखेगा।
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