रांची: जेपीएससी के पूर्व अध्यक्ष दिलीप प्रसाद से जुड़े 21 साल पुराने भ्रष्टाचार मामले में शनिवार 26 जुलाई को सीबीआई कोर्ट फैसला सुनाएगी। यह मामला वर्ष 2004 में नियुक्तियों में अनियमितता और पद के दुरुपयोग से जुड़ा है, जिससे सरकारी राजस्व को 28.66 लाख रुपये का नुकसान हुआ था। सीबीआई ने इस मामले में 2013 में एफआईआर दर्ज की थी।
फिलहाल इस केस में अंतिम बहस पूरी हो चुकी है और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए सुनवाई की तारीख 26 जुलाई तय की है। आरोप है कि अध्यक्ष रहते हुए दिलीप प्रसाद ने अन्य आरोपियों—सुरेंद्र कुमार जैन और सुधीर जैन के साथ मिलकर साजिश और धोखाधड़ी की।
यह मामला सीबीआई के रजिस्ट्रेशन क्रमांक आरसी 6/2013 से जुड़ा है, और नियुक्ति घोटाले में दर्ज की गई कई एफआईआर में से यह पहला मामला है, जिसमें निर्णय आने जा रहा है।
अन्य दो अफसरों पर भी कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी
जेपीएससी की प्रथम-द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर दो और अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति दी गई है। इनमें तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक सह सचिव एलिस उषा रानी सिंह और इंटरव्यू बोर्ड के विशेषज्ञ सोहन राम शामिल हैं।
पहले एलिस उषा रानी के विरुद्ध केवल परीक्षा नियंत्रक के पदनाम के आधार पर स्वीकृति दी गई थी, लेकिन अब उन्हें सचिव पदनाम के साथ भी अभियोजन की अनुमति प्रदान की गई है। यह फाइल जल्द ही सीबीआई को सौंपी जाएगी।
इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा विभाग ने जेपीएससी की अन्य परीक्षाओं में कथित गड़बड़ी के मामलों में 20 परीक्षकों व विशेषज्ञों के नाम विधि विभाग को अभियोजन स्वीकृति के लिए भेजे हैं। इससे यह स्पष्ट है कि जेपीएससी से जुड़े भ्रष्टाचार मामलों में कार्रवाई का दायरा और गहरा होता जा रहा है।
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