हजारीबाग: हजारीबाग जिला परिषद की ओर से आरोग्यम को आवंटित दो बिल्डिंगों को लेकर विवाद एक बार फिर गरमा गया है। आरोप है कि ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए बनी इन बिल्डिंगों को एक व्यापारी के हाथों सौंप दिया गया। अब मांग उठ रही है कि इन दोनों बिल्डिंगों को व्यापारी से छीनकर गरीब और बेरोजगार युवाओं को आवंटित किया जाए।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस पूरे मामले की जांच का भरोसा दिया है। बीते एक दशक से इस पर जांच की मांग की जा रही थी, लेकिन अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। कांग्रेस ने भी इसे गंभीर मामला बताया है और जल्द ही जिला परिषद का घेराव करने की घोषणा की है।
क्या है आरोग्यम विवाद?
बताया जाता है कि जिला परिषद ने टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता के नियमों को ताक पर रखकर दोनों बिल्डिंगें आरोग्यम को सौंप दीं। इस दौरान तत्कालीन जिला परिषद अध्यक्ष, उप विकास आयुक्त और सहायक अभियंता की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। आरोप है कि इस कदम से गरीब और बेरोजगार युवाओं के सपनों को झटका लगा और पूरी योजना एक व्यापारी के हित में चली गई।
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल की पहल
कांग्रेस के प्रदेश महासचिव विनोद कुशवाहा ने कहा कि वे पहले दिन से इस अवैध आवंटन का विरोध कर रहे हैं। इसी कड़ी में छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला और पूरे मामले की जांच की मांग की। मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि मामले की गंभीरता से जांच कराई जाएगी।
प्रतिनिधिमंडल में विनोद कुशवाहा के साथ जुबेर खान, रमाकांत सिंह, अजय नारायण, अशोक कुशवाहा और अशोक यादव शामिल थे। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री दीशोम गुरु के निधन के बाद श्राद्धक्रम में व्यस्त हैं, इसलिए कुछ दिनों में फिर से मुलाकात कर मांग दोहराई जाएगी।
संदिग्ध भूमिका और गड़बड़ी की आशंका
कुशवाहा ने कहा कि इस प्रकरण में तत्कालीन जिला परिषद अध्यक्ष और उप विकास आयुक्त की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने यह भी मांग की कि आयुष्मान भारत योजना के तहत आरोग्यम द्वारा किए गए इलाज और भुगतान की भी जांच होनी चाहिए, क्योंकि उसमें भी गड़बड़ी की आशंका है।
हजारीबाग से शशांक की रिपोर्ट
Highlights