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पुरुलिया में Kudmi आंदोलन कार्यक्रम से जयराम महतो ने किनारा किया। बोले – AJSU ने जानकारी नहीं दी। पैर फ्रैक्चर की वजह से बाहर नहीं जाऊंगा।
Big Breaking News : कुड़मीयों के हक अधिकार को लेकर पुरुलिया में आयोजित बड़े कार्यक्रम को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस कार्यक्रम में शामिल होने की अटकलों पर विराम लगाते हुए विधायक जयराम महतो ने साफ कर दिया है कि वे इसमें हिस्सा नहीं लेंगे।
जयराम महतो से फोन कॉल पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का आयोजन ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) पार्टी की ओर से किया गया है, लेकिन उन्हें इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई। महतो ने साफ कहा— “पैर फ्रैक्चर की वजह से मैं क्षेत्र से बाहर नहीं जाऊँगा।”
Key Highlights:
पुरुलिया में कुड़मीयों के हक अधिकार कार्यक्रम का आयोजन
विधायक जयराम महतो ने कार्यक्रम में शामिल होने से किया इनकार
AJSU की ओर से आयोजित कार्यक्रम, महतो बोले—”मुझे जानकारी नहीं दी गई”
पैर फ्रैक्चर की वजह से बाहर नहीं जाने की बात कही
कुड़मी आंदोलन को लेकर AJSU की सक्रियता पर उठे सवाल
राजनीतिक हलचल तेज, कार्यकर्ताओं में चर्चा
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उनके इस बयान के बाद कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों में चर्चा का दौर शुरू हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महतो की अनुपस्थिति से कार्यक्रम की राजनीतिक अहमियत प्रभावित हो सकती है।
कुड़मी समाज लंबे समय से जनजातीय दर्जे (Scheduled Tribe Status) की मांग को लेकर आंदोलनरत है। झारखंड, बंगाल और ओडिशा में फैला यह आंदोलन समय-समय पर तेज हुआ है। समाज का कहना है कि ऐतिहासिक रूप से उन्हें आदिवासी माना जाता रहा है और 1950 के बाद उन्हें सूची से बाहर कर दिया गया था।
झारखंड और बंगाल के कई जिलों में यह आंदोलन हाल के वर्षों में बड़ा रूप ले चुका है। कई बार रेल रोको आंदोलन और सड़क जाम जैसे बड़े प्रदर्शन भी देखे गए हैं।
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AJSU पार्टी इस आंदोलन को लेकर सक्रिय दिखाई दे रही है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि पार्टी इस मुद्दे को अपने संगठनात्मक विस्तार और जनसमर्थन बढ़ाने के अवसर के रूप में देख रही है। पुरुलिया जैसे इलाकों में कार्यक्रम आयोजित करके AJSU समाज में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
हालांकि, विधायक जयराम महतो की अनुपस्थिति ने कार्यक्रम को लेकर अलग सियासी संदेश दे दिया है। माना जा रहा है कि आगामी चुनावी समीकरणों में कुड़मी वोट बैंक निर्णायक साबित हो सकता है और यही वजह है कि तमाम दल इस मुद्दे को भुनाने में लगे हैं।