निलंबित IAS छवि रंजन के खिलाफ सेना की जमीन खरीद-बिक्री केस हाईकोर्ट ने दूसरी बेंच में ट्रांसफर किया, अभियोजन स्वीकृति पर उठे सवाल।
IAS Chhavi Ranjan Case Transfer रांची: बरियातू रोड स्थित सेना के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री मामले में निलंबित आईएएस अधिकारी छवि रंजन की याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। इस दौरान छवि रंजन की ओर से यह तर्क दिया गया कि उनके खिलाफ दर्ज केस में अभियोजन स्वीकृति (Prosecution Sanction) प्राप्त नहीं की गई है, जो कि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत अनिवार्य है।
IAS Chhavi Ranjan Case Transfer
बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने से पहले सरकार की अनुमति लेना कानूनी रूप से जरूरी है। लेकिन इस मामले में ईडी (Enforcement Directorate) द्वारा यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई, जिससे कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ है। इसलिए उन्होंने ईडी कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान आदेश (Cognizance Order) को निरस्त करने और पूरे केस को खारिज करने की अपील की।
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सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि इस केस से संबंधित अन्य मामलों की सुनवाई पहले से ही दूसरे सक्षम कोर्ट में चल रही है। इसे देखते हुए जस्टिस अंबुज नाथ की बेंच ने यह मामला दूसरी बेंच में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया।
Key Highlights:
बरियातू रोड स्थित सेना की कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री मामले में सुनवाई हुई।
निलंबित IAS अधिकारी छवि रंजन की ओर से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने का तर्क दिया गया।
याचिका में ईडी कोर्ट के संज्ञान आदेश को निरस्त करने की अपील की गई।
जस्टिस अंबुज नाथ की अदालत ने केस को दूसरी सक्षम बेंच में ट्रांसफर किया।
बचाव पक्ष ने कहा—सीआरपीसी की धारा 197 के तहत सरकारी अनुमति जरूरी थी।
अदालत को बताया गया कि संबंधित केस की सुनवाई पहले से दूसरे कोर्ट में चल रही है।
बचाव पक्ष का यह भी कहना था कि अभियोजन स्वीकृति की अनुपस्थिति में अधिकारी के खिलाफ किसी प्रकार की आपराधिक कार्रवाई की अनुमति नहीं दी जा सकती। वहीं, ईडी की ओर से अब तक इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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इस मामले में छवि रंजन पर आरोप है कि उन्होंने रांची के बरियातू रोड स्थित सेना की कब्जे वाली भूमि की अवैध खरीद-बिक्री में अहम भूमिका निभाई थी। ईडी ने उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और जमीन घोटाले के तहत केस दर्ज किया है। फिलहाल, कोर्ट के नए आदेश के बाद केस की अगली सुनवाई अब नई बेंच में होगी।
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