Ranchi: सारंडा वन क्षेत्र को अभयारण्य (sanctuary) घोषित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार के संशोधित प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया कि 31,468.25 हेक्टेयर क्षेत्र को ही अभयारण्य (sanctuary) घोषित किया जाए। सरकार ने पहले 57,519.41 हेक्टेयर को अभयारण्य बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे बाद में घटाकर 31,468.25 हेक्टेयर किया गया और हालिया शपथपत्र में इसे और कम करके 24,941 हेक्टेयर करने का अनुरोध किया गया था।
अधिवक्ता ने उठाए थे प्रस्ताव पर सवाल:
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने राज्य सरकार की बदलती स्थिति पर सख्त आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि जिन 126 खनन प्रभागों में पहले खनन न करने की बात कही गई थी, अब उन्हीं हिस्सों को अभयारण्य क्षेत्र से बाहर रखा जा रहा है। यह विरोधाभासी रुख वन संरक्षण और नीति के उद्देश्य के खिलाफ है।
खनन क्षेत्रों को अभयारण्य से बाहर रखने पर कोर्ट की नाराजगी:
न्याय मित्र के अनुसार सरकार का नया प्रस्ताव खनन हितों को संरक्षण देने की दिशा में प्रतीत होता है, जबकि पहले यह क्षेत्र अभयारण्य के रूप में प्रस्तावित था। उन्होंने कहा कि यह साफ नहीं है कि किस आधार पर अभयारण्य क्षेत्र में इतनी व्यापक कटौती की गई।
सेल की दलीलों पर भी सुप्रीम कोर्ट सख्तः
इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) ने कहा था कि कई खदानें प्रस्तावित क्षेत्र में आवंटित हैं, हालांकि अभी चालू नहीं हुई हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने स्पष्ट कहा कि अभयारण्य क्षेत्र के 126 कम्पार्टमेंट्स के भीतर किसी भी प्रकार की खनन गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी। कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है और किसी भी एजेंसी को छूट नहीं दी जा सकती।
राज्य सरकार का प्रस्ताव हुआ खारिजः
अंततः सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार का 24,941 हेक्टेयर वाला नया प्रस्ताव खारिज कर दिया और आदेश दिया कि सारंडा वन क्षेत्र के 31,468.25 हेक्टेयर को ही अभयारण्य घोषित किया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण सर्वोपरि है और खनन गतिविधियों को ध्यान में रखकर अभयारण्य के आकार में कटौती स्वीकार्य नहीं है।
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