बिहार चुनाव में ‘PK’ ने किसे अधिक नुकसान पहुंचाया, महागठबंधन या NDA?

पटना : बिहार विधानसभा चुनावों के नतीजे 14 नवंबर 2025 को ही आ गया है। महागठबंधन के लिए ही नहीं प्रशांत किशोर की नई नवेली पार्टी जन सुराज पार्टी (JSP) के लिए भी अप्रत्याशित रहे। 238 सीटों चुनाव पर लड़ने वाली जेएसपी को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हो सकी। पार्टी का 236 सीटों पर जमानत जब्त हो गई। फिर भी जनसुराज ने 35 सीटों पर वोटकटवा की भूमिका निभाई, जहां पार्टी का वोट शेयर विजेता के मार्जिन से ज्यादा रहा।

जन सुराज पार्टी ने दोनों ही गठबंधनों को नुकसान पहुंचाया

खास यह रहा कि जन सुराज पार्टी ने दोनों ही गठबंधनों को नुकसान पहुंचाया। विपक्ष उन पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का एजेंट होने का आरोप लगाती रही है पर उनकी पार्टी के उम्मीदवारों ने दोनों ही गठबंधनों के प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचाया। कभी पीएम नरेंद्र मोदी-सीएम नीतीश कुमार के पोल स्ट्रैटेजिस्ट रहे किशोर ने 2022 में जेएसपी लॉन्च कर ‘बदलाव’ का नारा दिया था। उन्होंने दावा किया था कि पार्टी या तो अर्श पर रहेगी या फर्श पर, जो शायद सही साबित हुआ।

निश्चित रूप से उनके चलते एक गठबंधन को ज्यादा फायदा मिला है

चुनाव प्रचार के दौरान उनकी सभाओं में उमड़ने वाली भीड़ के बारे में कुछ का मानना था कि उनकी सवर्ण जातिगत पहचान के कारण वह बीजेपी के वोट काटेंगे। जबकि अन्य का तर्क था कि वह राज्य से पलायन जैसे मुद्दों पर बात करके सत्ता-विरोधी युवा वोटों को बांटेंगे। हालांकि निश्चित रूप से उनके चलते एक गठबंधन को ज्यादा फायदा मिला है।

जिन 35 सीटों पर वोटकटवा बने उनमें किसका नुकसान ज्यादा हुआ?

प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने जिन 238 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से 236 पर वह जमानत जब्त करा बैठी, लेकिन आंकड़ों से संकेत मिलता है कि यह पार्टी कई सीटों पर खेल बिगाड़ने वाली भूमिका भी निभाई है। 35 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के वोट जीत के अंतर से अधिक थे। इनमें से एनडीए ने 19 सीटें जीतीं जबकि महागठबंधन को 14 सीटें मिलीं हैं। एआईएमआईएम और बीएसपी को भी प्रशांत किशोर के प्रत्याशियों के वोट काटने का फायदा एक-एक सीटों पर मिला है। पार्टी ने कुल 3.5 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं जो एआईएमआईएम व बीएसपी आदि के मुकाबले बेहतर है। इसके साथ कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी के मुकाबले भी जन सुराज का वोट परसेंटेज बेहतर ही कहा जाएगा। गौरतलब है कि काग्रेस ने 8.3 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं।

जन सुराज पार्टी 115 सीटों पर 3 स्थान पर रही और 1 सीट दूसरे स्थान पर रही

हालांकि निश्चित रूप से यह कहना बहुत मुश्किल है कि जन सुराज को किसी सीट पर अंतर से अधिक वोट मिलने से किसे फायदा पहुंचा। क्योंकि यह जानना असंभव है कि जो वोट पीके की पार्टी को मिले वे वोट कहां जाते। पार्टी 115 सीटों पर तीसरे स्थान पर रही और एक सीट दूसरे स्थान पर रही। इसलिए प्रशांत किशोर को एक खेल बिगाड़ने वाले खिलाड़ी के रूप में देखा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। राजनीतिक पारी की शुरूआत में हर प्लेयर करीब-करीब ऐसा ही पर्फार्मेंस देता है। किशोर की पार्टी को मिले वोटों के चलते जदयू को 10 सीटें पर जबकि बीजेपी को पांच पर फायदा मिला है। एलजेएपी-आरवी को तीन और आरएलएम को एक सीट मिली है। महागठबंधन में राजद को नौ सीटें मिलीं जबकि कांग्रेस को दो। सीपीएम, सीपीआईएमएल-एल और आईआईपी को प्रत्येक में एक-एक सीट मिली है।

‘9वीं फेल तेजस्वी’ का नरेटिव बनाना

प्रशांत किशोर ने अपने चुनाव अभियान के दौरान लगातार तेजस्वी यादव को ‘9वीं फेल’ का तंज कसकर और ‘जंगलराज’ का डर दिखाकर ऐसा माहौल बनाया जो राजद की युवा अपील को ध्वस्त कर दिया। जेएसपी का 3.5 प्रतिशत वोट शेयर वोटकटवा बनकर महागठबंधन को 10-15 सीटें खर्च करा गया। किशोर जो पूर्व स्ट्रैटेजिस्ट हैं, यह नरेटिव सोशल मीडिया और रैलियों में चलाकर राजद की छवि को ‘अशिक्षित जंगल राज’ का प्रतीक बना दिया।

यह भी पढ़े : प्रशांत किशोर का रोड शो, कहा- जन सुराज ही है असली विकल्प

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