बगहा का एक ऐसा पुल जिसके नीचे बहती है नदी तो ऊपर नहर, आकर्षण का केंद्र बनी दोन नहर

बगहा का एक ऐसा पुल जिसके नीचे बहती है नदी तो ऊपर नहर, आकर्षण का केंद्र बनी दोन नहर

बगहा (पश्चिमी चंपारण) : बगहा का एक ऐसा पुल जिसके नीचे बहती है नदी तो ऊपर नहर, आकर्षण का केंद्र बनी दोन नहर- वाल्मीकि

नगर में मौजूद दोन नहर एक बार फिर आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

इसके आकर्षण की वजह इसका इंजीनियरिंग कौशल है.

वजह है इसका बेहतरीन निर्माण कार्य.

इंजीनियरों ने इस तरह से बनाया है कि इसकी सतह पर नदियां बहती है और

उसके ऊपर पुल बनाकर दोन नहर बहती है.

यानि कि नीचे नदी और ऊपर नहर बहती है.

यह सिलसिला पिछले 52 वर्षों से ऐसे ही चला आ रहा है.

दोन नहर का निर्माण कार्य चार मई 1964 में शुरू हुआ.

वाल्मीकि नगर का बैराज वर्ष 1969-70 बनकर तैयार हुआ था.

यह कार्य 5 वर्ष तक चला, बैराज बनाने का मुख्य उद्देश्य गंडक नदी से सिंचाई करना था.

सिंचाई के लिए वाल्मीकि नगर से तीन नहर दोन नहर, तिरहुत नहर और त्रिवेेणी नहर बनाए गए.

देखकर लोग हो जाते हैं चकित

इस नहर के रास्ते में 50 सेे 60 बार नदियों को पार करना पड़ता है. कहीं नहर नदी के नीचे तो कहीं नहर नदी के ऊपर निकाला गया है. नीचे निकालने के लिए सुरंग बनाया गया है. इस सुरंग के माध्यम से नहर का पानी नदी को पार कर जाता है. जहां नदी के ऊपर निकाला गया है वहां पर पुल के आकार का नहर बनाया गया है.

इन नदियों से होकर गुजरती है नहर

नहर हरहा, मसान, सिंगा, भलुई, धमनाहा, रघिया, पंडई, रामरेखा, बड़ा भपसा, छोटा भपसा आदि नदी से होकर गुजरना पड़ता है. इनमें कई नदी सर्पाकार रूप में चलती है. जिसकी वजह से एक ही नदी को कई बार पार करना पड़ता है.

बरसात के दिनों में कई बार हो चुकी है तबाही

आम दिनों में नदी सुख सी जाती हैं, लेकिन बरसात में अपना उग्र रूप धारण कर लेती है. बरसात के दिनों में कई दफा नदी का नहर में मिलने के कारण आसपास के लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है.

रिपोर्ट : अनिल कुमार

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