नई दिल्ली : कच्चे तेल पर सऊदी अरब के फैसले से एशियाई देशों की बढ़ी मुश्किलें– कच्चे तेल की
कीमतों को लेकर दुनियाभर में उथल-पुथल मची हुई है.
रूस और यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद ही कच्चे तेल का भाव 139 अरब डॉलर के
स्तर पर पहुंच गया था, लेकिन अब इसमें कुछ नरमी आई है.
हलांकि ये अभी भी उच्च स्तर पर बना हुआ है.
इस बीच सऊदी अरब ने जो कदम उठाया उसने एशियाई देशों (Asian Countries) की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.
दरअसल, दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश ने
एशियाई देशों के लिए कच्चे तेल की कीमत में बढ़ा इजाफा किया है.
गौरतलब है कि जुलाई महीने के लिए एशियाई देशों के लिए
अरब लाइट क्रूड ऑयल (Light Crude Oil) के आधिकारिक बिक्री मूल्य यानि
ओएसपी में जून की तुलना में 2.1 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी की गई है. गर्मियों में तेल की ज्यादा मांग को देखते हुए कच्चे तेल की ऊंची कीमतों को देखते हुए सऊदी अरब ने ये फैसला लिया है. सऊदी अरब के इस फैसले से भारत (India) को भी बड़ा झटका लगा है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भारत होगा, क्योंकि भारत सऊदी अरब से बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है.
हालांकि विश्लेषकों ने पहले ही सऊदी अरब की ओर से ऐसा कदम उठाने का पूर्वानुमान व्यक्त किया था, लेकिन उन्होंने कच्चे तेल की कीमतों में करीब 1.5 डॉलर की ही बढ़ोतरी की आशंका जताई थी. जो वृद्धि की गई है वह इससे कहीं ज्यादा है.
ये देश रहेंगे सबसे ज्यादा प्रभावित
दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी सऊदी अरामको (Aramco) ने यह फैसला जुलाई में तेल का उत्पादन 648,000 बैरल प्रतिदिन बढ़ाने के ओपेक प्लस देशों (OPEC Countries) के बीच हुए समझौते के बावजूद किया है. इससे एशियाई देशों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. यहां बता दें कि एशियाई देशों के लिए बढ़ी कच्चे तेल की कीमतों का भारत और चीन (China) ओर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. हालांकि भारत और चीन लगातार रूस (Russia) का तेल खरीद रहे हैं. सऊदी अरामको ने बीते रविवार की रात को कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा किया था. हालांकि, अमेरिका के लिए कच्चे तेल के दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया.
पेट्रोल-डीजल में तेजी की है आशंका
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव बढ़ने का सीधा असर देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ेगा. बता दें कि सरकार के उत्पाद शुल्क घटाने के बाद से देश में तेल के दाम स्थिर हैं ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से तेल कंपनियों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा और बढ़ते घाटे को कम करने के लिए उनकी ओर से देश की जनता पर बोझ डाला जा सकता है. यह बोझ पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में दिखेगा. ऐसा हुआ तो आने वाले दिनों में महंगाई का भी बढ़ना तय है.