Ayodhya इस भारत भूमि में सदियों से आदर्श और त्याग की प्रतिमूर्ति के रुप में स्थापित रामलला के मंदिर निर्माण में लम्बा संघर्ष चला, सैंकड़ों की शहादत हुई. करीबन पांच सौ वर्षों का समय लगा इस विवाद को सुलझाने में.
राम मंदिर के विवाद का समाधान में धर्म गुरुओं से लेकर राजनेताओं की भी भूमिका रही, आम जनों का संधर्ष रहा. कई मोड़ आये, राजनीति ने इस बीच कई करवटें बदली.
बनने की तैयारी
अब इस संघर्ष की कहानी को रुपहले पर्दे पर दिखलाने की योजना बनायी जा रही है,
जी हाँ, राम मंदिर निर्माण के 500 साल के संघर्ष की पूरी कहानी को लेकर एक DOCUMENTRY बनने की तैयारी चल रही है. इस Documentary के जरिये अब यह कहानी जन जन तक पहुंचेगी.
इस डॉक्यूमेंट्री में 1528 से लेकर राम मंदिर निर्माण की हर एक कड़ी को पेश किया जाएगा. फिल्म का उद्देश्य राम मंदिर बनने में जो संघर्ष हुआ उसे लोगों तक पहुंचाने का हैं .
सबसे अहम बात
इस Documentary की सबसे अहम बात यह हैं कि इसमें हम प्रधानमंत्री मोदी को भी देख सकेंगे.
दरअसल यह प्रधानमंत्री मोदी हैं जिन्होने इस बेहद विवादास्पद मुद्दे को अपने प्रधानमंत्रीत्व काल में सुलझाया है. इसमें राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का चित्रण है, यही कारण है कि इसमें प्रधानमंत्री मोदी भी दिखेंगे, वजह यह है कि इसका भूमि पूजन प्रधानमंत्री के द्वारा ही किया गया था. उस पल को भी इसमें दर्शाया जाएगा. साथ ही वह दृश्य भी होगा जब राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना रहा है.
भूल की गुंजाइश नहीं
फिल्म के निर्माण में हर एक एक बारीकियों पर ध्यान दिया गया है. ताकि किसी तथ्यात्मक भूल की गुंजाइश नहीं रहे. यही कारण ही की इसका निर्माण श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मार्गदर्शन में किया जा रहा है.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया है कि इसका निर्माण प्रसार भारती की ओर से किया जा रहा है. हमारी कोशिश मात्र इतनी है कि फिल्म में हर एक कड़ी को जोड़ कर तथ्यात्मक तरीके से पेश किया जाए. फिल्म निर्माण के बाद ट्रस्ट के सदस्य इसे देखेंगे. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस Documentary से फिल्म समाज में प्यार और मोहब्बत बढ़े और सही तथ्यों की जानकारी आने वाली पीढ़ियों को मिल सके.
आपको याद दिला दें कि आज से 17 वर्ष पूर्व आतंकियो द्वारा राम मंदिर परिसर को क्षति पहुंचाने की कोशिश की गई थी, यह आज भी आम लोगों के जेहन में कैद है.
आतंकी मारे गए
5 जुलाई 2005 की तारीख अयोध्या के लिए एक बेहद मनहूस दिन था. जब आतंकियों ने परिसर में मार्शल जीप में धमाका किया था. इसके कारण परिसर की बैरीकेडिंग पूरी तरह से टूट गई थी.
उनका मकसद इस आतंकी हमले को लम्बे समय तक चलाते रहना और ज्यादा से ज्यादा नुकसान करना था. लेकिन वो अपने इस शर्मनाक मकसद में कामयाब नहीं हो पाए और सभी आतंकी मारे गए.