खाद्यान्न निर्यात को लेकर रूस-यूक्रेन में ‘मिरर समझौता’, यूएन ने बताया- एतिहासिक

समुद्री रास्ते से होगा अनाज का निर्यात

नई दिल्ली : यूक्रेन और रूस के बीच शनिवार को ‘मिरर समझौते’ पर हस्ताक्षर हुआ है.

इसके साथ ही कीव को काला सागर के जरिये अनाज निर्यात दोबारा शुरू करने की मंजूरी मिल गई है.

इस समझौते ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से

फंसे लाखों टन यूक्रेनी अनाज के निर्यात का रास्ता साफ कर दिया है. यूक्रेन की अनाज नाकेबंदी से खाद्यान्न संकट गहरा गया था और इससे लाखों लोग भूख के संकट से दो-चार हो रहे थे.

किसे कहते हैं ‘मिरर समझौता’

तुर्की में रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधि ‘मिरर समझौते’ पर हस्ताक्षर के लिए मिले. ‘मिरर समझौता’ उसे कहा जाता है जिसके प्रस्ताव को बिना किसी बदलाव के स्वीकार किया जाए.

अगले 120 दिनों तक प्रभावी होगा मौजूदा समझौता

समझौते पर रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने पहले हस्ताक्षर किया, उसके बाद यूक्रेन सरकार के मंत्री अलेक्जेंडर कुब्राकोप ने हस्ताक्षर किए. इस समझौते तक पहुंचने में दोनों देशों को करीब दो माह का समय लगा. मौजूदा समझौता अगले 120 दिनों तक प्रभावी होगा. इस समझौते के मुताबिक तुर्की के इस्तांबुल में एक समन्वय केंद्र स्थापित किया जाएगा जिसमें संयुक्त राष्ट्र संघ, तुर्की, रूस और यूक्रेन के अधिकारी शामिल होंगे.

बंदरगाहों पर हमले नहीं करेगा रूस

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस समझौते को लेकर रूस ने कहा है कि वह समुद्र के रास्ते अनाज की ढुलाई करने वाले मालवाहक जहाज और अनाज की सप्लाई में इस्तेमाल होने वाले बंदरगाहों पर हमले नहीं करेगा. यूक्रेन भी यह मानने को तैयार है कि वह खद्यान्न सप्लाई करने वाले जहाजों की जांच की मंजूरी देगा. संयुक्त राष्ट्र ने इस समझौते को एतिहासिक बताया है.

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