Ranchi-1932 का खतियान नहीं- कांग्रेस कोटे से मंत्री रामेश्वर उरांव (Dr Rameshwar Oraon) ने हेमंत सोरेन के अब तक से सबसे बड़े सियासी हथियार से अपनी असहमति व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि 1932 (1932 Khatian News) में पूरे झारखंड में सर्वे सम्पन्न ही नहीं हुआ था, कई जिलों में यह 1927 से 1934 तक चलता रहा. इसके बाद भी कई रिवीजलन सर्वे हुए हैं. सिर्फ इस आधार पर स्थानीयता को तय करना उचित नहीं कहा जा सकता.
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उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि स्थानीयता जमीन के आधार पर तय हो. एक निजी मीडिया चैनल को संबोधित करते हुए उन्होंने सवालिया लहजे में यह पूछा है कि आजादी से पहले जो लोग यहां आकर बस गये थे, क्या हम उन्हे बाहरी कहेंगे. क्या यह कानून सम्मत होगा.
1932 का खतियान नहीं, जमीन के आधार स्थानीयता तय करने की उठी मांग
वैसे उन्होने यह भी साफ कर दिया कि यह हेमंत सरकार के किसी फैसले का विरोध नहीं है, बल्कि अपनी बात को रखा जा रहा है, यहां यह बताना भी जरुरी है कि
इसके पहले भी कई कांग्रेसी नेताओं की ओर से इसका विरोध किया जा चुका है,
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के बाद अब रामेश्वर उरांव ने
हेमंत सोरेन के फैसले से असहमति व्यक्त की है.
यहां यह भी बता दें कि कुच आदिवासी संगठनों के द्वारा
1932 का खतियान के बदले ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 90
फीसदी नौकरियों को आरक्षित करने की मांग की जा रही है,
उनका मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नौकरियों का
आरक्षण से ही उनकी समस्यायों का समाधान हो जायेगा.
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