उत्तराखण्डः उत्तरकाशी टनल सुरंग में फंसे पूर्वी सिंहभूम के डुमरिया प्रखंड के 6 मजदूरों के परिवार में रात में मजदूरों के टनल से बाहर निकलने की खबर पर खुशी का माहौल छा गया है। मानिकपुर गांव में प्रशासनिक टीम ने पहुंचकर टनल में फंसे मजदूरों के परिजनों से मिलकर उनके निकलने की खुशी में परिवार के लोगों को मिठाई भी खिलाई।
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परिवार देर रात तक इंतजार करते रहे कि खुशी की पल आएगी और इंतजार खत्म हुआ। वह खुशी की पल आयी और सुरंग में फंसे मजदूर बाहर निकलने लगे।
पूरा परिवार कर रहा है बेटे का इंतजार
डुमरिया प्रखंड के सबर बस्ती में रहने वाले टिंकू सरदार का उनके माता-पिता के साथ उनके भाई इंतजार कर रहे थे कि वह कब खुशी के पल आएगी और जैसे ही खबर मिली कि उनके भाई समेत मजदूरों को बाहर निकाला जा चुका है, तो खुशी का ठिकाना ना रहा।

आपको बता दें कि टिंकू सरदार के पिता बोनू सरदार को कैंसर है। वह खुद बीमार है और बीमारी हालत में ही अपने बेटे की चिंता उन्हें खाए जा रही थी। उनकी मां हीरा सरदार दूसरे के खेत में धान काटने का काम करती है और भाई पिंकू सरदार ड्राइविंग का काम करता है। पूरे परिवार को चिंता थी कि कब उसके घर का बेटा, घर का लाल जो सुरंग में फंस गया है, कब बाहर निकलेगा और इंतजार खत्म हुआ।
बेटे के बाहर निकलने की खबर मिलते ही खुशी का ठिकाना नहीं रहा
बांकीशोल पंचायत स्थित बाहदा गांव निवासी भक्तू मुर्मू (29) भी इनमें से एक है। उसके सकुशल बाहर निकलने का इंतजार कर रहे 70 वर्षीय पिता बारसा मुर्मू की सदमे में मौत हो गयी। बास्ते मुर्मू अपने दामाद ठाकरा हांसदा के साथ आंगन में खाट पर बैठे थे, अचानक वह खाट से नीचे गिरे और उनका दम निकल गया।
दामाद ने इस जानकारी परिजनों को दी। भक्तू मुर्मू का बड़ा भाई रामराय मुर्मू भी कमाने के लिए चेन्नई गया हुआ है। वहीं दूसरा भाई मंगल मुर्मू दूसरे गांव में मजदूरी करने गया था। घटना के वक्त घर पर बास्ते की पत्नी पिती मुर्मू, बेटी और दामाद थे। घरवालों के मुताबिक वे 14 दिनों से परेशान थे कि कब भक्तू मुर्मू टनल से बाहर निकलेगा।
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परिजनों के अनुसार, भक्तू मुर्मू के टनल में फंसने की सूचना गांव के सोंगा बांडरा ने दी थी। वह भक्तू के साथ काम करता है। सोंगा बांडरा सुरंग के बाहर है। 12 नवंबर के बाद से कोई प्रशासनिक पदाधिकारी हालचाल पूछने इस परिवार के पास नहीं पहुंचा था।
इधर, हर दिन निराशाजनक सूचना मिलने से पिता बास्ते मुर्मू सदमे में चले गये। उनकी मौत के बाद पत्नी पिती मर्मू पत्थर बन गयी है और सुबह से पति की लाश के पास बैठी हुई है। उसकी आंख से आंसू तक नहीं बह रहे हैं।















