राजधानी रांची में नदियों और जलाशयों पर हुए अवैध निर्माणों पर झारखंड हाईकोर्ट की तरफ से आपत्ति जताये जाने के बाद स्थानीय प्रशासन नींद से जागा है, और आनन फानन में अवैध निर्माण के मामलों पर सख्त फैसले लेने लगा है। इसी क्रम में हिनू में होटल एमराल्ड पर नगर आयुक्त का चाबुक चला है और 72 घंटों के अंदर होटल को सील करते हुए तय जुर्माने की राशि 30 दिनों में नहीं चुकाने पर होटल तोड़ने का आदेश दिया हैं। इस बारे में पूछे जाने पर नगर निगम के डिप्टी मेयर ने इसे प्रशासन का फैसला बताया, मगर अवैध निर्माण तोड़े जाने को लेकर स्थानीय प्रशासन पर हाईकोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कानून में संशोधन की जरूरत पर जोर दिया।
वहीं नगर निगम के डिप्टी मेयर ने पिछले दो दिनों के अंदर हुई बारिश से राजधानी रांची में मची तबाही के लिये नगर निगम से ज्यादा राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया, उन्होंने कहा कि नगर निगम फंड के लिये सरकार पर निर्भर हैं, निगम को अपनी योजनाएं पूरी करने के लिये पर्याप्त फंड नहीं मिल पाता हैं, उसपर से उन्होंने 2006 की डीपीआर रिपोर्ट के आधार पर 2016 में नालियों का निर्माण गलत तरीके से किये जाने को तबाही का कारण बताया।
नगर निगम बरसात में मची तबाही के लिये राज्य सरकार को जिम्मेदार बताते हुए अतिक्रमण और अवैध निर्माण तोड़ने से आम लोगों को हो रही परेशानियों का हवाला देते हुए उन्हें नियमित करने के पक्ष में हैं। मगर सवाल ये भी है कि आखिर अवैध तरीके से लाखों की संख्या में जब अतिक्रमण कर मकानों और व्यवसायिक परिसरों का निमार्ण हो रहा था, तब नगर निगम और स्थानीय प्रशासन कौन सी नींद में सोये हुए थे।