Bulldozer Action के खिलाफ Supreme फैसले से सुर्खियों में आया अनुच्छेद-142

डिजीटल डेस्क : Bulldozer Action के खिलाफ Supreme फैसले से सुर्खियों में आया अनुच्छेद-142। बुधवार को Bulldozer Action के मामले में Supreme Court ने जो अहम फैसला सुनाया उसने सियासी तौर पर किसी को जख्म तो किसी को मरहम दिया है। इस फैसले से भगवा खेमे को करारा झटका लगा है जबकि प्रतिपक्ष को संजीवनी मिली है।

Supreme Court ने अपने इस अहम फैसले को सुनाने के लिए संविधान के जिस अनुच्छेद का उल्लेख किया है, वह फैसला सुनाए जाने के बाद से लगातार सुर्खियों में है। Supreme Court ने यह फैसला संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत सुनाया है।

एकनजर में जानें क्या है अनुच्छेद -142…

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142 कोर्ट को विवेकाधीन शक्ति देता है। सरल शब्दों में इसे यूं समझा जा सकता है कि जिन मामलों में अब तक कानून नहीं बन पाया है उन मामलों में न्याय करने के लिए Supreme Court अपना फैसला सुना सकता है।

सिर्फ Bulldozer Action को लेकर ही नहीं, इससे पहले तलाक के कुछ खास मामलों में भी Supreme Court ने अनुच्छेद 142 को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया था।

इससे पहले, 90 के दशक से अब तक कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। उसमें संविधान के अनुच्छेद 142 ने सुप्रीम कोर्ट को विशेष शक्ति दी। हालांकि, जब भी इसे आधार बनाकर फैसला सुनाया जाता है तो यह ध्यान रखा जाता है कि उस फैसले से किसी और को कोई नुकसान न हो।

अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को दो पक्षों के बीच पूर्ण न्याय करने की विशेष शक्ति प्रदान करता है। ऐसे मामलों में अदालत किसी विवाद को इस तरह से आगे बढ़ा सकता है जो तथ्यों के अनुरूप हो।

हालांकि, कई बार अनुच्छेद 142 की आलोचना भी की जा चुकी है और तर्क दिया गया कि अदालत के पास व्यापक विवेकाधिकार हैं लेकिन न्याय को लेकर मनमाने ढंग से इसका दुरुपयोग हो सकता है।

बुल्डोजर एक्शन का सांकेतिक चित्र
बुल्डोजर एक्शन का सांकेतिक चित्र

अनुच्छेद-142 के तहत Supreme Court ने Bulldozer Action पर लगाई रोक…

बुधवार को Bulldozer Action पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत फैसला सुनाते हुए Supreme Court ने कहा कि – ‘सरकार मनमाने ढंग से कार्रवाई नहीं कर सकती। …कार्रवाई से पहले उन्हें नोटिस देकर बताना होगा कि घर कैसे अवैध है। …उसकी जानकारी जिला प्रशासन को भी दी जाए।

…अगर गलत तरीके से निर्माण को तोड़ा गया है तो मुआवजा भी दिया जाए और सरकारी अधिकारी पर भी कार्रवाई की जा सकती है।

….किसी के घर को सिर्फ इस आधार न नहीं तोड़ा जा सकता है कि वो किसी आपराधिक मामले में आरोपी है या दोषी है।

…कानून को ताक पर रखकर किया गया Bulldozer Action असंवैधानिक है। …मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और वैधानिक अधिकारों को साकार करने के लिए कार्यपालिका को निर्देश जारी किए जा सकते हैं’।

सुप्रीम कोर्ट सांकेतिक
सुप्रीम कोर्ट सांकेतिक

Bulldozer Action पर अनुच्छेद-142 के तहत Supreme Court द्वारा कही गईं अहम बातें एकनजर में…

Bulldozer Action पर बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत Supreme Court ने कई अहम आदेश पारित किए।

Supreme Court ने Bulldozer Action पर बुधवार को अपने पारित आदेश में कहा कि – ‘…राज्य या अधिकारी द्वारा नियमों के विरुद्ध आरोपी या दोषी के खिलाफ Bulldozer Action नहीं लिया जा सकता। …अगर राज्य सरकार मनमाने तरीके से दोषी या आरोपी के अधिकार का उल्लंघन करती है तो मुआवजा दिया जाना चाहिए।

…घर सिर्फ एक संपत्ति नहीं होता बल्कि यह परिवार की सामूहिक आशाओं का प्रतीक होता है। जीवन का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और आश्रय का अधिकार इसका एक पहलू है।

…इंदिरा गांधी बनाम राज नारायण वाले फैसले के आलोक में अगर कानून के खिलाफ जा कर कोई कार्रवाई की जाती है तो अधिकारों की रक्षा करने का काम अदालत का है…क्या राज्य सरकार न्यायिक कार्य कर सकती है?

…राज्य मुख्य कार्यों को करने में न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकता है। …अगर राज्य इसे ध्वस्त करता है तो इसे अन्यायपूर्ण माना जाएगा। …बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के संपत्तियां नहीं तोड़ी जा सकती हैं’।

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