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Ranchi : झारखंड में पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर सियासत गर्मा गई है। बीजेप नेता और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य में डीजीपी की नियुक्ति न केवल नियमों की अनदेखी कर की गई है, बल्कि यह सत्ता और भ्रष्टाचार के गठजोड़ का प्रतीक बन चुका है। हेमंत सोरेन सरकार ने एक ऐसे अधिकारी को डीजीपी के पद पर बनाए रखा है, जिन्हें भारत सरकार की ओर से सेवा विस्तार नहीं दिया गया है।
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यह मामला तब और विवादास्पद हो गया जब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की कार्रवाई को कमजोर करने के लिए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (SC-ST) का मुद्दा उठाया गया। विपक्ष का आरोप है कि यह सब एक सोची-समझी रणनीति के तहत हुआ, ताकि ईडी की जांचों को कमजोर किया जा सके और भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं और अधिकारियों को बचाया जा सके।
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Jharkhand Politics : हेमंत सोरेन और डीजीपी अनुराग गुप्ता के बीच है गहरा गठजोड़
विपक्षी नेताओं का दावा है कि हेमंत सोरेन और डीजीपी अनुराग गुप्ता के बीच एक ऐसा गठजोड़ बना हुआ है, जिसमें भ्रष्टाचार के मामलों को दबाने और ईडी के गवाहों को डराने-धमकाने का काम किया जा रहा है। आरोपों के अनुसार, अनुराग गुप्ता के डीजी बनने के बाद से कोयला चोरी और अवैध वसूली में इजाफा हुआ है। विपक्ष ने दावा किया कि इस अवैध वसूली से प्राप्त धन सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जा रहा है।
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विशेष रूप से, यह मामला तब से चर्चा में है जब चुनाव से ठीक पहले अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बनाया गया था। हालांकि, चुनाव आयोग ने इसे नियमविरुद्ध मानते हुए उन्हें हटा दिया था। लेकिन चुनाव के बाद जब हेमंत सोरेन दोबारा सत्ता में आए, तो गुप्ता को फिर से प्रभारी डीजीपी बना दिया गया। बाद में 2 फरवरी को उन्हें नियमित डीजीपी बनाए जाने की घोषणा भी की गई, जबकि भारत सरकार की ओर से स्पष्ट रूप से कहा गया था कि उन्हें सेवा विस्तार नहीं दिया गया है।
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किस आधार पर डीजीपी बनाए रखा है-विपक्ष
अब सवाल उठ रहा है कि जब केंद्र सरकार की ओर से सेवा विस्तार को मना कर दिया गया है, तब राज्य सरकार ने उन्हें किस आधार पर डीजीपी बनाए रखा है? विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य में सीआईडी, एसीबी और पुलिस विभाग जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों में स्थायी प्रमुख नहीं हैं, जिससे जांच और कानून व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
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विपक्ष ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि वे जल्द से जल्द डीजी पद पर नियमों के अनुसार नियुक्ति करें और स्पष्ट करें कि केंद्र सरकार के विरोध के बावजूद अनुराग गुप्ता को किस आधार पर पद पर बनाए रखा गया है।