नई दिल्ली : वक्फ संशोधन बिल (Wakf Amendment Bill) पर आज यानी दो अप्रैल को लोकसभा पेश किया गया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने वक्फ संशोधन बिल को लोकसभा में पेश किया। इस बीच विपक्ष के तरफ से इस बिल को लेकर जोरदार हंगामा किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री वक्फ बिल पेश करने के बाद सदन में बोल रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने नया सवेरा आने वाला है। वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा है कि सरकार मस्जिदों के प्रबंधन या धार्मिक क्रियाकलापों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। उन्होंने ये भी कहा कि सेंट्रल वक्फ बोर्ड में कम से कम दो महिलाएं, राज्य वक्फ बोर्ड में एक महिला सदस्य जरूरी है। बता दें कि सभी पार्टियों ने इसके लिए व्हीप जारी किया था। सदन में सत्ता पक्ष के नेता व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा विपक्ष के नेता राहुल गांधी अभी मौजूद नहीं है। बाकी हर पार्टी के करीब-करीब सांसद सदन में मौजूद हैं।
Highlights
मुस्लिम समाज का एक तबका इसके समर्थन में जबकि दूसरा धड़ा इसके विरोध में है – किरेन रिजिजू
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश करते हुए कहा कि मुस्लिम समाज का एक तबका इसके समर्थन में जबकि दूसरा धड़ा इसके विरोध में है। इस विधेयक को पारित कराने के लिए एनडीए और उसकी सहयोगी पार्टियां एकजुट हैं। जबकि इंडिया ब्लॉक इसके विरोध में है। वक्फ बिल पेश होने से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष ने अहम बैठक भी की। संसद में चर्चा के लिए आठ घंटे का समय निर्धारित किया गया है। इसमें एनडीए को कुल चार घंटे 40 मिनट का समय दिया गया है।
वक्फ क्रिएट कर सकते हैं, नहीं छिन सकते – रिजिजू
केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि हम किसी जाति-धर्म की वजह से सांसद नहीं बने हैं। आपका ट्रस्ट है, ट्रस्ट को चैरिटी कमिश्नर संभालता है। आप कैसे कहेंगे कि वह मुसलमान नहीं है तो कैसे संभाल सकता है। ये बार-बार कहा जा रहा है कि मुसलमान के मामले में गैर मुस्लिम क्यों आ रहा है। अरे इसका धार्मिक व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं देना नहीं है। ये संपत्ति के मैनेजमेंट से जुड़ा मामला है। उन्होंने ये भी कहा कि वक्फ की जिन संपत्तियों पर विवाद है, हम कोर्ट के पावर को कैसे ले सकते हैं। सीएए जब लाए थे, तब भी ये लोग कह रहे थे कि मुसलमान का हक छिना जा रहा है। बताइए, किसी मुसलमान की नागरिकता छिनी गई है। आज आप दोबारा मिसलीड करेंगे तो आपको मुंह की खाना पड़ेगा। फिर कोई बिल लेकर दोबारा आएंगे और आपका पर्दाफाश करेंगे। आप वक्फ क्रिएट कर सकते हैं लेकिन महिलाओं और बच्चों का अधिकार नहीं छिन सकते। ये बहुत बड़ा रिफॉर्म है।
यह भी देखें :
वक्फ बिल का विरोध करने वालों को सदियों तक याद रखा जाएगा – केंद्रीय मंत्री
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने वक्फ के डिजिटलाइजेशन से लेकर वक्फ क्रिएट करने की प्रक्रिया तक, पूरी प्रक्रिया बताई और कहा कि सबकुछ राज्य सरकारों को ही करना है। जो-जो वक्फ प्रॉपर्टी क्रिएट की गई है, उसे लेकर हम लगातार टच में रहेंगे। ये पूरी तरह राज्य सरकार के अधीन है और उनको ही इसकी निगरानी का काम करना है। इनकम जेनरेशन का भी इफेक्टिव गवर्नेंस का प्रावधान हमने रखा है। जो रिफॉर्म्स हमने लाए हैं और कुछ बदलाव जो किए हैं, इसमें अगर आपको लगता है कि वक्फ प्रॉपर्टी के बेहतर इस्तेमाल करने के लिए क्या करना चाहिए। उसमें आपके सुझाव का हम खुले दिल से स्वागत करेंगे। इस बिल का विरोध करने वालों को सदियों तक याद रखा जाएगा।
UPA ने दिल्ली वक्फ को दे दीं प्राइम प्रॉपर्टी, नागरिक समझदार – रिजिजू
किरेन रिजिजू ने केरल हाईकोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट की वक्फ को लेकर टिप्पणियों का जिक्र किया और सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ये तर्क ही नहीं बन रहा है कि मुसलमान के अधिकार में गैर मुसलमान कैसे आ रहा है। 2013 में चुनाव आना था, आचार संहिता लगने ही वाली थी। पांच मार्च 2014 को 123 प्राइम प्रॉपर्टीज को सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया। इससे वोट मिलने वाला नहीं है। देश के लोग समझदार हैं। इसको बदलना जरूरी था।
‘2013 में आपने बदल दिया कि वक्फ कोई भी क्लियर कर सकता है’
रिजिजू ने कहा कि 1995 में ऐसा नहीं था, 2013 में आपने बदल दिया कि वक्फ कोई भी क्लियर कर सकता है। हमने पुराना प्रावधान लाते हुए कहा है कि वहीं क्लियर कर सकता है जिसने कम से कम पांच साल इस्लाम की प्रैक्टिस किया है। इसमें शिया, सुन्नी और महिला सभी रहेंगे ये हमने किया है। मैं मुस्लिम नहीं हूं लेकिन वक्फ काउंसिल का चेयरमैन हूं। मेरे होने के साथ चार और गैर मुस्लिम इसमें हो सकते हैं। दो महिला का रहना अनिवार्य है। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में कुल 22 सदस्यों में चार गैर मुस्लिम से ज्यादा नहीं हो सकते हैं। तीन सांसद होंगे। 10 सदस्य मुस्लिम समुदाय से और दो पूर्व जज होंगे। एडिशनल सेक्रेटरी या जॉइंट सेक्रेटरी उसमें रहेंगे। स्टेट बोर्ड में 11 सदस्यों में तीन से ज्यादा गैर मुस्लिम नहीं हो सकते। एक एमपी, एक एमएलए, एक सदस्य बार काउंसिल से और चार सदस्य मुस्लिम समुदाय से होंगे। इनमें एक महिला का होना भी अनिवार्य है। जो प्रावधान जरूरी नहीं थे, उनको मिलाते हुए हमने नया प्रावधान किया है। महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के साथ ही ट्रिब्यूनल में पेंडिंग 10 हजार से अधिक केस सेटल करने और कुछ साल में इनकी संख्या 30 हजार से अधिक हो गई है। वक्फ बोर्ड के पास भारतीय रेलवे, रक्षा के बाद वक्फ के पास तीसरा सबसे बड़ा लैंडबैंक है। ट्रेन का पटरी लगा हुआ है, वो देश की संपत्ति है।
वक्फ बिल में धार्मिक कार्यकलापों में हस्तक्षेप का प्रावधान नहीं – रिजिजू
किरेन रिजिजू ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल में किसी भी धार्मिक कार्यकलाप में हस्तक्षेप का कोई प्रावधान नहीं है। हम किसी भी मस्जिद के संचालन में हस्तक्षेप करने नहीं जा रहे। इस पर विपक्ष की ओर से किसी ने टिप्पणी की। स्पीकर ओम बिरला ने टोकते हुए नसीहत दी कि भारत की संसद में बैठे हो, गरिमा का ध्यान रखो। किसी भी व्यक्ति को बैठे-बैठे टिप्पणी का अधिकार नहीं है। किरेन रिजिजू ने कहा कि ये मस्जिद या धार्मिक क्रियाकलापों से जुड़ा मामला नहीं है। ये बस एक संपत्ति के मैनेजमेंट से जुड़ा विषय है। कोई मुसलमान जकात देता है तो उसे पूछने वाले हम कौन होते हैं। हम तो बस उसके मैनेजमेंट से जुड़ी बात कर रहे हैं। इसका धार्मिक व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है।
संशोधन नहीं लाते तो ये संसद भवन भी वक्फ प्रॉपर्टी होता – केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू
किरेन रिजिजू ने कहा कि 2013 में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने पार्लियामेंट की जो बिल्डिंग है, उसे भी वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दिया। यूपीए की सरकार ने इसे डिनोटिफाई भी कर दिया। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार नहीं होती, हम संशोधन नहीं लाते तो जिस जगह हम बैठे हैं, वह भी वक्फ की संपत्ति होती। यूपीए की सरकार होती तो पता नहीं कितनी संपत्तियां डिनोटिफाई होतीं। कुछ भी अपने मन से नहीं बोल रहा हूं। ये सब रिकॉर्ड की बात है। रिजिजू की इस बात पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के जोरदार हंगामे पर किरेन रिजिजू ने कहा कि अगर तर्क नहीं है तो इस तरह से हंगामा करना ठीक बात नहीं है। स्पीकर ने कहा कि आपकी बारी आएगी तो आप अपनी बात रखिएगा।
रिजिजू ने पेश किया वक्फ बिल, बोले- इतनी याचिकाएं किसी बिल पर नहीं आईं
किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पेश कर दिया है। किरेन रिजिजू ने कहा कि इससे अधिक संख्या में आजतक किसी भी बिल पर लोगों की याचिकाएं नहीं आईं। 284 डेलिगेशन ने अलग-अलग कमेटी के सामने अपनी बात रखी है। 25 राज्यों के वक्फ बोर्ड ने अपना पक्ष रखा। पॉलिसी मेकर्स, विद्वानों ने भी अपनी बात कमेटी के सामने रखी हैं। इस बिल का पॉजिटिव सोच के साथ विरोध करने वाले भी समर्थन करेंगे। यह प्रस्ताव खुले मन से पॉजिटिव नोट के सामने पेश कर रहा हूं। किसी ने असंवैधानिक बताया तो किसी ने नियमविरुद्ध. जब पहली बार ये प्रस्ताव सदन में पेश किया गया था 1913 में उसके बाद जब दोबारा एक्ट पास किया गया था। 1930 में एक्ट लाया गया था। आजादी के बाद 1954 में वक्फ एक्ट पहली बार आजाद भारत का एक्ट बना और उसी में राज्य के बोर्ड का भी प्रावधान किया गया था। 1995 में व्यापक रूप से एक्ट बना। उस समय किसी ने इसे असंवैधानिक, नियमविरुद्ध नहीं कहा। आज हम जब ये बिल ला रहे तो ये बोलने का विचार कैसे आया। जिसका बिल में कोई लेना-देना नहीं है, उसे लेकर आपने लोगों को गुमराह करने का काम किया। 1995 में ट्रिब्यूनल का इंतजाम किया गया।
हमारी कमेटियां कांग्रेस जैसी नहीं – अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जो पॉइंट ऑफ ऑर्डर उठाया है। भारत सरकार की कैबिनेट ने एक बिल अप्रूव करके सदन के सामने रखा। सदन की ओर से ये बिल जेपीसी को दिया गया। कमेटी ने सुविचारित रूप से अपना मत प्रकट किया। वह मत फिर से कैबिनेट के सामने गया। कमेटी के सुझाव कैबिनेट ने स्वीकार किए और संशोधन के रूप में किरेन रिजिजू लेकर आए हैं। अगर ये कैबिनेट के अप्रूवल के बगैर आता तो पॉइंट ऑफ ऑर्डर रेज कर सकते थे। ये कांग्रेस के जमाने जैसी कमेटी नहीं है. हमारी कमेटियां दिमाग चलाती हैं।
वक्फ संशोधन विधेयक का वेणुगोपाल ने किया विरोध
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किए जाने का विरोध किया और कहा कि ये लेजिस्लेचर को बुल्डोज करने जैसा है। उन्होंने सदस्यों के संशोधन प्रस्ताव का मुद्दा उठाया। इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि जितना समय सरकारी संशोधनों को दिया है, उतना ही समय गैर सरकारी संशोधनों को भी दिया है। दोनों में कोई अंतर नहीं किया गया है। आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने पॉइंट ऑफ ऑर्डर रेज करते हुए कहा कि हम ओरिजिनल बिल पर चर्चा करने नहीं जा रहे हैं। ये जेपीसी की रिपोर्ट के बाद नए प्रावधान के साथ आ रहा बिल है। ये टेक्निकल मैटर है। रूल 81 को सस्पेंड किए बिना इन पर चर्चा का इस सदन को अधिकार नहीं है। नए ड्राफ्ट में कई नए प्रावधान हैं। मंत्री प्रस्ताव पेश कर सकते हैं, जेपीसी की संस्तुतियों को शामिल करने का प्रावधान कर सकते हैं लेकिन जेपीसी के पास नए प्रावधान जोड़ने का पावर नहीं है।
यह भी पढ़े : वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पेश होगा, राज्यसभा में भी सरकार को बहुमत का भरोसा