सभी कोर्ट में तैनात किए जाएंगे कोर्ट नायब और कोर्ट प्रभारी। न्यायालय में लंबित पड़े मामलों का निपटारा तेजी से कराने और स्पीडी ट्रायल को अमलीजामा पहनाने के लिए तैनात किया जा रहा इन्हें
पटना: राज्य के विभिन्न न्यायालयों में सुनवाई के लिए करीब 17 लाख मामले लंबित पड़े हैं। इनका निपटारा तेजी से कराने और स्पीडी ट्रायल को अमलीजामा पहनाते हुए बड़ी संख्या में अपराधियों को सजा दिलाने के लिए कोर्ट नायब और कोर्ट प्रभारी नियुक्त किए जा रहे हैं। कोर्ट प्रभारी दारोगा या इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी होंगे जबकि कोर्ट नायब भी पुलिस पदाधिकारियों में ही चयन करके बनाया जाएगा। यह जानकारी गुरुवार को पुलिस मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में एडीजी (सीआईडी) पारसनाथ एवं आईजी दलजीत सिंह ने दी। इन्होंने बताया कि कोर्ट के लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए पुलिस महकमा के स्तर पर यह जरूरी पहल की जा रही है।
यह होंगे कोर्ट नायब एवं कोर्ट प्रभारी के कार्य
एडीजी पारसनाथ ने कहा कि कोर्ट प्रभारी और कोर्ट नायब की व्यवस्था अभियोजन से संबंधित कार्यों को सशक्त करने के लिए की गई है। गृह विभाग (विशेष शाखा) के स्तर से यह व्यवस्था की गई है। इनकी भूमिका मामलों की सुनवाई को गति देने के साथ ही अभियुक्तों या साक्ष्यों के खिलाफ न्यायालय से जारी आदेशों मसलन सम्मन, वारंट, कुर्की, उद्घोषणा जैसे अन्य का समय पर निष्पादन करवाने की होगी। इनकी संख्या गतिशील होगी। जिलों के एसपी के स्तर से दक्ष और अनुभवी पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी।
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स्पीडी ट्रायल कराने पर होगा खास फोकस
एडीजी ने अपराधियों पर पूरी सख्ती से कार्रवाई करने के लिए स्पीडी ट्रायल पर खासतौर से फोकस करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस वर्ष जनवरी से मई तक 38 हजार 71 कांडों में 52 हजार 314 अभियुक्तों को कोर्ट की तरफ से सजा दिया गया है। इसमें आर्म्स एक्ट के तहत 132 कांडों 172 अभियुक्त, हत्या के 207 कांडों में 508 अभियुक्त, डकैती के 7 कांडों में 22 अभियुक्त, अपहरण के 23 मामलों में 28 अभियुक्तों, रेप के 81 कांडों में 92 अभियुक्तों, दहेज मामलो के 39 कांडों में 60 अभियुक्तों तथा अन्य 37 हजार 582 कांडों के 51 हजार 432 अभियुक्तों को सजा दी गई है।
3 अभियुक्तों को दी गई फांसी की सजा
कोर्ट के स्तर से इस वर्ष अब तक 3 अभियुक्तों को फांसी की सजा दी गई है। 489 अभियुक्तों को आजीवन कारावास, 246 अभियुक्तों को 10 वर्ष या इससे अधिक की सजा, 585 अभियुक्तों को 10 वर्ष से कम एवं 2 वर्ष से अधिक की सजा, 1093 अभियुक्तों को 2 वर्ष तक और 49 हजार 898 अभियुक्तों को जुर्माना या बंध-पत्र आदि की सजा दी गई है। इसके अलावा कोर्ट में 17 हजार 207 पुलिस पदाधिकारी या कर्मी, 3318 डॉक्टर और 49 हजार 515 अन्य साक्ष्य कोर्ट में उपस्थित कराकर विभिन्न केसों में गवाही दिलवाई गई है।
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