Breaking : कोलकाता निर्भया कांड पर हाईकोर्ट सख्त, ममता सरकार को लताड़ा, कहा – कॉलेज के पूर्व अध्यक्ष को 3 बजे तक छुट्टी पर भेजें और कांड की केस डायरी मांगी

कोलकाता के नेशनल मेडिकल कॉलेज से बैरंग लौटाए गए ममता के मंत्री जावेद खान और विधायक स्वर्ण कमल साहा।

डिजीटल डेस्क : Breakingकोलकाता निर्भया कांड पर हाईकोर्ट सख्त, कॉलेज के पूर्व अध्यक्ष को 3 बजे तक छुट्टी पर भेजने का निर्देश और कांड की केस डायरी तलब। गत शुक्रवार से ही सुर्खियों में छाए कोलकाता निर्भया कांड को लेकर मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर 3 जनहित याचिकाओं एवं मृतका के पिता के आवेदनों पर सुनवाई करते हुए राज्य की सत्तारूढ़ ममता बनर्जी सरकार को भी लताड़ लगाई।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अध्यक्ष पद को घटना के बाद छोड़ने वाले संदीप घोष को दूसरे कॉलेज में सरकार की ओर से तैनाती दिए जाने पर हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की। कहा कि ‘ओह, तो राज्य सरकार ने उन्हें पुरस्कृत किया है’।

खंडपीठ ने कड़े लहजे में राज्य सरकार को लगाई फटकार तो ताकता रहा सरकारी पक्ष

इसी के बाद सख्त लहजे में मामले की सुनवाई कर रही खंडपीठ की अगुवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि मंगलवार अपराह्न 3 बजे तक अध्यक्ष पद से  संदीप घोष को स्वेच्छा से छुट्टी पर भेजने को कहा।

साथ ही मुख्य न्यायाधीश ने कड़े लहजे में कहा कि अगर ऐसा न हुआ तो भी फिर अदालत इसके लिए निर्देश जारी करने से नहीं हिचकेगी। इसी के साथ मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम और हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश वकील को निर्देश दिया कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में छात्रा के साथ हुई घटना की केस डायरी भी हर हाल में कोर्ट के समक्ष दोपहर 1 बजे तक हर हाल में प्रस्तुत करें।

इस संबंध में सरकार की ओर से पेश वकील ने अपनी ओर से तमाम दलीलें दीं लेकिन खंडपीठ ने उन्हें हालात और मामले की गंभीरता के सापेक्ष सीधे तौर पर नकारते हुए अपने आदेश जारी कर उनका अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा तो सरकारी पक्ष ताकता रह गया।

कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश

खंडपीठ के सामने सरकारी वकील की वे दलीलें जिन्हें नहीं मिली कोई तवज्जो …

कोलकाता निर्भया कांड की सुनवाई कर रही खंडपीठ के समक्ष ममता बनर्जी सरकार की ओर से पेश वकील ने तमाम दलीलें दीं और बताने का प्रयास किया कि सरकारी स्तर पर कितनी पारदर्शिता के साथ जांच और दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है लेकिन खंडपीठ ने उसे माकूल या मामले की गंभीरता के अनुरूप समुचित नहीं पाया।

सरकारी वकील ने खंडपीठ के समक्ष दलील देते हुए कहा कि – ‘पुलिस मामले की जांच कर रही है। जांच में सामने रहे तथ्यों को किसी भी रूप में छुपाया नहीं जा रहा। लोगों के बीच चर्चा है कि इस घटना में कोई और भी शामिल रहा है लेकिन जांच में अभी तक उसकी पुष्टि नहीं हुई है।

इस बारे में राज्य सरकार विस्तारित रिपोर्ट खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत करने को तैयार है। हम जारी जांच की रिपोर्ट भी देने को तैयार हैं। करीब 35 से 40 लोगों के इस वाकये में अब तक बयान कलमबद्ध हो चुके हैं। सभी न जो आरोप लगाए हैं, उनके जवाब बुधवार की सुबह 10 बजे तक खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाएगा’।

इन दलीलों पर खंडपीठ ने असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे बात नहीं बनेगी, तत्काल मामले की केस डायरी कोर्ट में पेश की जाए।

कलकत्ता हाईकोर्ट की फाइल फोटो
कलकत्ता हाईकोर्ट की फाइल फोटो

नेशनल मेडिकल कॉलेज में प्रदर्शनकारियों का गुस्सा देख बैरंग लौटे ममता के मंत्री और विधायक

इससे पहले खंडपीठ के समक्ष जनहित याचिकाओं की सुनवाई के क्रम में याचिकाकर्ताओं की ओर से विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि पूरे मामले के केंद्र में रहे आरजी कर मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष संदीप घोष ने बीते सोमवार की सुबह कहा था कि वह सरकारी नौकरी छोड़ रहे हैं लेकिन उसके चंद घंटे बाद ही गत सोमवार तीसरे पहर उन्हें कोलकाता के ही दूसरे मेडिकल कॉलेज में तैनाती दे दी गई।

गत शुक्रवार को छात्रा की लाश मिलने के बाद ही जूनियर डॉक्टरों में अध्यक्ष संदीप घोष के खिलाफ गंभीर नाराजगी देखी गई। उसके बाद ही उन्होंने वहां इस्तीफा दिया तो सरकार ने उन्हें नेशनल मेडिकल कॉलेज में तैनाती दी जहां उन्हें मंगलवार को कार्यभार ग्रहण करना था लेकिन वहां भी प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों के जबरदस्त विरोध एवं हंगामे के चलते वह पहुंच नहीं सके।

हालात बिगड़ते देख राज्य सरकार के मंत्री जावेद खान और विधायक स्वर्ण कमल साहा मौके पर पहुंचे लेकिन प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के गुस्से के आगे उन्हें बैरंग लौटना पड़ा।

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