Desk. खबर कर्नाटक से आ रही है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ गयी है। बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने बुधवार को लोकायुक्त पुलिस को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) साइटों के आवंटन में अनियमितताओं के आरोपों के संबंध में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया है।
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सिद्धारमैया की बढ़ीं मुश्किलें
अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) के तहत जांच करने के निर्देश जारी किया है। साथ ही कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस को जांच रिपोर्ट 24 दिसंबर तक दाखिल करने का निर्देश दिया है। वहीं मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वह जांच से नहीं डरते हैं। उन्होंने कहा, ”मैं पहले ही कह चुका हूं कि मैं जांच का सामना करने के लिए तैयार हूं। मैं जांच से नहीं डरता। उन्होंने कहा कि मैं कानूनी लड़ाई के लिए तैयार हूं। मैंने ये बात कल भी कही थी और आज भी दोहरा रहा हूं।”
उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत जांच की मंजूरी देने के राज्यपाल के 16 अगस्त के आदेश के खिलाफ सिद्धारमैया की याचिका खारिज कर दी। राज्यपाल की मंजूरी कार्यकर्ता प्रदीप कुमार एसपी, टीजे अब्राहम और स्नेहमयी द्वारा दर्ज की गई शिकायतों के जवाब में थी। कृष्णा ने मुख्यमंत्री पर मुडा के बहुमूल्य भूखंडों के अवैध आवंटन से लाभ उठाने का आरोप लगाया।
अपने फैसले में न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि राज्यपाल आमतौर पर संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत मंत्रिपरिषद की सलाह के आधार पर कार्य करते हैं, लेकिन कुछ मामलों में अपवाद बनाए जा सकते हैं।