Wednesday, August 20, 2025

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CM Yogi ने महाकुंभ के संदेश में जलवायु परिवर्तन से बचाव के प्रयास को शामिल करने की कही बात

प्रयागराज : CM Yogi ने महाकुंभ के संदेश में जलवायु परिवर्तन से बचाव के प्रयास को शामिल करने की कही बात। CM Yogi आदित्यनाथ ने रविवार 16 फरवरी को महाकुंभ में ‘कुंभ की आस्था व जलवायु परिवर्तन’ विषय पर जलवायु सम्मेलन का शुभारंभ किया।

इस मौके पर CM Yogi ने कहा कि – ‘जब आज के परिप्रेक्ष्य में जलवायु परिवर्तन की बात करते हैं और एकदूसरे पर दोषारोपण करते हैं तो वही स्थिति महाकुंभ के अवसर पर भी हम सबको देखने को मिल रहा है। सम्मेलन में आने में जरा देर हुई क्योंकि प्रयागराज आया हूं तो श्रद्धालुओं के व्यवस्था पर नजर दौड़ाया। 

…मैं ऊपर से सर्वे कर रहा था…देख रहा था अलग-अलग स्थानों पर पार्किंग की जगह खाली है और हर व्यक्ति सड़क पर अपनी गाड़ी पार्क करके संगम में स्नान करने के लिए चला आ रहा है। अगर वही व्यक्ति पार्किंग के स्थान पर अपनी गाड़ी खड़ी करे और हो सकता है कि उसके चलते उसे 100 मीटर अधिक पैदल चलना पड़े लेकिन कहीं सड़क पर जाम नहीं होगा। उससे वह आसानी से संगम में स्नान भी करेगा और अपने वापस अपने गंतव्य स्थल पहुंच सकेगा।

…और यही हमारे दैनिक जीवन की भी विसंगति हो गई है। हर व्यक्ति केवल दोषारोपण क्यों कर रहा है ? इस जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए किए जाने वाले प्रयास में हम सब कहां भागीदार हैं, उसके चिंतन में सहभागी बनना और उसे अपने व्यावहारिक जीवन में उतारने में कितना भागीदार बन पा रहा है, इसे तो महाकुंभ के संदेश का हिस्सा बनना चाहिए।’ 

CM Yogi : नदियों पर अतिक्रमण की प्रवृत्ति पर लगे लगाम

सम्मेलन को संबोधित करते हुए CM Yogi आदित्यनाथ ने आगे कहा कि – ‘बहनों भाइयों हम सबको सोचना होगा कि कार्बन के उत्सर्जन का और पर्यावरण के प्रदूषण के कारण जलवायु परिवर्तन है। जलवायु परिवर्तन के कारण हमारी धरती माता की धमनियों का रूप अविरल नदियां सूखती जा रही हैं।

…अनुमान करिए कि शरीर की रक्त-धमनियां सूख गईं तो शरीर की स्थिति क्या होगी ? और ऐसे ही धरती माता की स्थिति भी है। अगर धरती माता की धमनियां सूख गईं या फिर प्रदूषित हो गईं तो उनका भी वही हाल होगा जो धमनी सूखने पर व्यक्ति का होता है। हम अपने स्वार्थ के लिए नदियों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

…इसीलिए हमारा प्रयास होना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन से बचाव में खुद कितनी भागीदारी कर पाएंगे। दैनिक जीवन क्या हम प्लास्टिक का उपयोग रोक पाएंगे? …क्या नदियों पर कब्जा करने और अतिक्रमण करने की प्रवृत्ति को हम कंट्रोल कर पाएंगे? वन्य जीवों के प्रति क्या संवेदना हमारे मन  में भी जागृत होगी?

जैसे हमारा जीवन चक्र है, वैसे ही धरती माता का अपना जीवन चक्र है। हम दोनों को एकसाथ जोड़कर के देखेंगे तो यह सृष्टि रहेगी, यह चराचर जगत रहेगा और तब जीव-सृष्टि भी रहेगी और जंतु-सृष्टि भी रहेगी।

…और अनंत काल तक महाकुंभ जैसे आयोजन भव्यता-दिव्यता के साथ अविरल और निर्मल मां गंगा और मां यमुना के दर्शन के साथ-साथ हम लोगों को जुड़ने का अवसर प्राप्त होता रहेगा। सभ्यता और संस्कृति इसी प्रकार से फलती और फूलती रहेगी।’

महाकुंभ मेला क्षेत्र में रविवार को जलवायु सम्मेलन को संबोधित करते सीएम योगी आदित्यनाथ।
महाकुंभ मेला क्षेत्र में रविवार को जलवायु सम्मेलन को संबोधित करते सीएम योगी आदित्यनाथ।

बोले CM Yogi – आकाशीय बिजली गिरना का कारण है जलवायु परिवर्तन

इसी क्रम में वैज्ञानिक अंदाज में अपनी रखते हुए CM Yogi आदित्यनाथ ने चंद प्राकृतिक घटनाओं का उल्लेख किया। CM Yogi ने कहा कि – ‘जलवायु परिवर्तन से बचाव के प्रयास में भागीदारी न होने पर अन्यथा क्या स्थिति है? जलवायु परिवर्तन का दुष्परिणाम – आकाशीय बिजली गिरने की घटना।

…मुझे याद है 2 वर्ष पहले एक ही दिन में आकाशीय बिजली से मिर्जापुर से लेकर बिहार तक 90 लोगों की मौत हुई थी आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं से से। आज टेक्नालाजी काफी इंप्रूव हुई है। अर्ली वार्निंग सिस्टम कई जगह लगाए गए हैं। लेकिन उस संबंध में बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है।

महाकुंभ मेला क्षेत्र में रविवार को जलवायु सम्मेलन को संबोधित करते सीएम योगी आदित्यनाथ।
महाकुंभ मेला क्षेत्र में रविवार को जलवायु सम्मेलन को संबोधित करते सीएम योगी आदित्यनाथ।

…उस बहुत कुछ किए जाने के लिए ही हम अपने वैदिक शास्त्रों के संदेश को अपने जीवन में उतार सकें तो काफी कुछ बचाव हो सकता है। इन बातों को ध्यान में रखकर के सिंगल यूज प्लास्टिक को पूरी तरह बैन किया गया।

…देश के अंदर प्रधानमंत्री मोदी जी ने कार्बन उत्सर्जन रोकने को और पेड़ों की कटान रोकने को घरों में ग्रीन ईंधन का उपयोग बढ़ाने को फ्री में 10 करोड़ से अधिक कनेक्शन उपलब्ध करवाए।  उत्तर प्रदेश में पिछले 8 वर्ष के अंदर 210 करोड़ पौधरोपण किया।

…उन पौधों में से वन विभाग को रोपित पौधों में 70 से 80 फीसदी सुरक्षित हैं जबकि विभिन्न संस्थाओं से कराए गए रोपण के 60 से 70 फीसदी पौधे सुरक्षित हैं। फॉरेस्ट कवर को बढ़ाया गया। डीजल से चलने वाली बसों के स्थान पर इलेक्ट्रिक बस को प्राथमिकता दी। उसको प्रमोट किया। उसके लिए पॉलिसी बनाई। उसके लिए अनेक कार्यक्रम बनाए।’

महाकुंभ मेला क्षेत्र में रविवार को जलवायु सम्मेलन को संबोधित करते सीएम योगी आदित्यनाथ।
महाकुंभ मेला क्षेत्र में रविवार को जलवायु सम्मेलन को संबोधित करते सीएम योगी आदित्यनाथ।

CM Yogi ने कहा – यूपी में मर चुकी नदियों को पुनर्जीवित करने पर हुआ काम…

CM Yogi ने इसी क्रम में आगे कहा कि – ‘पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने एवं जलवायु परिवर्तन से बचाव के प्रयास के क्रम में ही यूपी में मर चुकी नदियों को पुनर्जीवित करने पर काम हुआ और किया गया। आप याद करिए। आज से 10 साल पहले। क्या गंगा और क्या यमुना नदी किसी प्रकार अविरल और निर्मल रह गई थीं ?

…हमारा धर्म कहता है कि ये धरती हमारी माता हैं और हम सब इसकी संतान हैं। हम जब अपने वैदिक सूत्रों में ढूंढ़ते हैं तो हम चराचर जगत के कल्याण की बात करते हैं। लेकिन दैनिक जीवन में हम स्वयं के मार्ग में बैरियर बनकर के खड़े हो जाते हैं। एक प्रश्न हमारे सामने है।

…आज सायंकाल तक 13 जनवरी से लेकर के 16 फरवरी के बीच 37 दिनों में 52 करोड़ से अधिक श्रद्धालु मां गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा चुके होंगे। ये लोग तब डुबकी लगा पा रहे हैं जब मां गंगा और यमुना में सरस्वती की कृपा से अविरल जल है।

महाकुंभ मेला क्षेत्र में रविवार को जलवायु सम्मेलन को संबोधित करते सीएम योगी आदित्यनाथ।
महाकुंभ मेला क्षेत्र में रविवार को जलवायु सम्मेलन को संबोधित करते सीएम योगी आदित्यनाथ।

…और जो भी डुबकी लगा रहा है, वह आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करके उसे अपने गांव या क्षेत्र में आसपास साझा कर रहा है तो वहां से भी बड़े पैमाने पर श्रद्धालु आकर के इसे पूरे आयोजन को सफलता की नई ऊंचाई तक पहुंचा रहे हैं।

…आज जो संगम में इतना पावन स्नान एक साथ इतने श्रद्धालु कर रहे हैं कि अन्य कुंभ के अवसर पर जितनी भीड़ मौनी अमावस्या पर होती थी, उतनी श्रद्धालुओं की भीड़ इस बार यहां महाकुंभ में हर रोज हो रही है। इसका कारण है कि नदियों को चैनलाइज किया गया। संगम का दायरा बढ़ाया गया।

…बड़ी संख्या में लोग यहां आ सकें, इसके लिए पहले दिन से यहां तैयारी की गई थी कि संगम में 10 हजार से लेकर 11 हजार क्यूसेक गंगा जल हमेशा मौजूद रहना चाहिए, जिससे किसी भी श्रद्धालु को समस्या ना होने पाए, उसकी आस्था के साथ खिलवाड़ ना होने पाए। और तब जाकर के इतना बड़ा आयोजन एकसाथ संपन्न हो रहा है।

…और थोड़ा पैदल भी चलना पड़ रहा है तो संगम में एक बार डुबकी लगाने के बाद पूरे कष्ट को भूलकरके जन्म और जीवन को धन्य-धन्य समझ करके पुण्य का भागीदार बनकर के आगे बढ़ रहा है। देश के अंदर एक संदेश को लेकर के जा रहा है।’

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