नेताओं के लिए कब्रगाह बना है झारखंड में लोकसभा का निर्दलीय चुनाव लड़ना

नेताओं के लिए कब्रगाह बना है झारखंड में लोकसभा का निर्दलीय चुनाव लड़ना

रांची: झारखंड के अस्तित्व में आने के बाद अब तक मात्र दो प्रत्याशी मधु कोड़ा और इंदर सिंह नामधारी के अलावा एक भी नेता निर्दलीय चुनाव जीतकर लोकसभा चुनाव जीतने में सफल नहीं हुआ है. प. सिंहभूम से मधुकोड़ा और चतरा से नामधारी ऐसे दो प्रत्याशी हैं जिन्होंने चुनाव जीता है.

बाकी 24 सालों में जितने भी लोकसभा चुनाव हुए हैं एक भी निर्दलीय प्रत्याशी लोकसभा चुनाव लड़कर संसद का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाए.

पांच बार सांसद रह चुके रामटहल चौधरी जब 2019 में रांची से निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा तो उन्हें हार का सामना करना पड़ा. झारखंड की इस राजनीतिक घटना पर विशेषज्ञों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में झारखंड की जनता केंद्रीय पार्टी के प्रत्याशी पर अधिक भरोसा करती है.

इतिहास देखें तो झारखंड बनने के बाद अब तक जिन पार्टियों की सरकार रही है उसमें भाजपा कांग्रेस और जेएमएम शामिल है. एक क्षेत्रिय पार्टी के रुप में आजसू के अलावा अन्य किसी पार्टी की सरकार में न के बराबर भागीदारी रही है.

इस बार भी निर्दलीय चुनाव लड़ने वालों की संख्या बढ़ने वाली है. निश्चित हार के अनुमान के बाद चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों के जोश में कोई कमी नहीं है.

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