Ranchi : झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUJ) के सुदूर पूर्व भाषा विभाग (चीनी भाषा) के छात्रों ने एक बार फिर अपने विश्वविद्यालय, राज्य और देश को गौरवान्वित किया है। विभाग के चार होनहार छात्रों — शांतनु कुमार, खुशी कुमारी, कुमारी पूर्णिमा रंजन और अंशु कुमार — ने चीन की प्रतिष्ठित यून्नान विश्वविद्यालय में एक वर्षीय स्कॉलरशिप प्रोग्राम के लिए चयनित होकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
यह छात्रवृत्ति पूरी तरह से वित्त सहायता प्राप्त है जो कि भाषा अध्ययन का अवसर प्रदान करती है। यह छात्रवृत्ति दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देती है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत छात्र एक वर्ष तक चीन में रहकर न केवल चीनी भाषा का गहन अध्ययन करेंगे, बल्कि वे चीन की सांस्कृतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक और पारंपरिक विविधताओं को भी प्रत्यक्ष रूप से समझने का अवसर प्राप्त करेंगे।
चीन की संस्कृति, खानपान, त्योहार जानने का मिलेगा मौका
चीन की संस्कृति, जैसे- ताई ची, पारंपरिक खानपान, चीनी त्योहारों (जैसे चंद्र नववर्ष), और स्थानीय रीति-रिवाजों से परिचय भारतीय छात्रों को एक वैश्विक दृष्टिकोण प्रदान करेगा। साथ ही, यह अनुभव भारत लौटने के बाद उनकी भाषा-कौशल, अनुवाद-क्षमता और अंतरराष्ट्रीय संवाद में दक्षता को भी सशक्त करेगा।
इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. क्षिति भूषण दास ने सभी विद्यार्थियों को बधाई दी और कहा कि यह सफलता विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक सशक्त कदम है। उन्होंने इस अवसर को भारत और चीन के विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक सहयोग का एक उज्ज्वल उदाहरण बताया।
इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर भाषा संकाय की अधिष्ठाता प्रोफेसर श्रेया भट्टाचार्जी ने भी छात्रों एवं संकाय सदस्यों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह सफलता विद्यार्थियों की लगन, शिक्षकों के समर्पण और विभागीय सहयोग का प्रतिफल है। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि यह छात्रवृत्ति केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण भाषा संकाय की शैक्षणिक उत्कृष्टता और अंतरराष्ट्रीय सहभागिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
शिक्षकों के मार्गदर्शन और प्रेरणा ने छात्रों को इस मुकाम तक पहुँचाया-डॉ. रविंद्र नाथ शर्मा
विभागाध्यक्ष डॉ. रविंद्र नाथ शर्मा ने छात्रों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के अवसर न केवल छात्रों के व्यक्तिगत विकास में सहायक होते हैं, बल्कि यह भारत की भाषा-नीति, बहुभाषिकता और सांस्कृतिक समझ को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का भी माध्यम बनते हैं। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए विभाग के शिक्षकों —डॉ. अर्पण राज, डॉ. संदीप विश्वास और सुशांत कुमार को भी बधाई दी, जिनके निरंतर मार्गदर्शन और प्रेरणा ने छात्रों को इस मुकाम तक पहुँचाया।
इस छात्रवृत्ति कार्यक्रम से स्पष्ट होता है कि झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय अब न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहा है। आने वाले समय में इस प्रकार की उपलब्धियाँ न केवल विश्वविद्यालय की रैंकिंग एवं प्रतिष्ठा को बढ़ाएँगी, बल्कि यह भारत को एक सांस्कृतिक दूत के रूप में भी स्थापित करेंगी।
यह अवसर विद्यार्थियों को वैश्विक नागरिक बनने, पारस्परिक समझ बढ़ाने और शांति एवं सहयोग के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। ऐसे कार्यक्रम भविष्य में भारत-चीन जैसे विशाल सांस्कृतिक विरासतों वाले देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को और भी प्रगाढ़ करेंगे।