103 कमरे वाले इस किले में सैकड़ों वर्षों से हो रही है दुर्गा पूजा,साल में एक बार ही मिलता है देखने का मौका

रांची: झारखंड में दुर्गा पूजा का खासा महत्व है। खासकर राजधानी रांची में भव्य दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है।कोलकाता के बाद रांची दुर्गा पूजा के लिए प्रसिद्ध है।

जहां भव्य पूजा पंडालों का निर्माण होता है। जहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। तो वहीं रांची में एक ऐसा किला भी है,जहां 170 वर्षों से भी ज्यादा समय से दुर्गा पूजा का आयोजन होता आ रहा है। जहां दूर दूर से लोग मां दुर्गा के दर्शन को आते हैं।

रांची से महज कुछ दूरी पर स्थित रातु किला जिसे रातूगढ़ भी कहते है,वर्ष में एक बार ही लोगों के लिए दुर्गा पूजा के दौरान खोला जाता है। चार दिनों तक यहां आम लोग घूमने और मां के दर्शन को आते हैं।वही मां दुर्गा के दर्शन के बहाने लोगों को राजा महाराजाओं के किले की भव्यता को भी देखने का अवसर मिलता है।

लाल ईंटों से बना रातु किला लोगों को खासा आकर्षित करता हैं। 22 एकड़ में फैले इस किले में 103 कमरे हैं। जानकारी के अनुसार 1899 में इस किले का निर्माण कार्य शुरू हुआ था।

जो 1901 में बनकर तैयार हुआ। इसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स की निगरानी में बनाया गया था। दुर्गा पूजा के दौरान आम लोगों के लिए किला खुलने पर इसके अंदर स्थित आई ऐतिहासिक चीजों समेत पार्क में लोगों को घूमने का भी मौका मिलता है।

वही किले के मुख्य द्वार पर अंग्रेजों के जमाने के दो तोप भी लोगों को खासा आकर्षित करते हैं। वही पुजारी बताते हैं कि छोटानागपुर की समृद्धि के लिए महाराजा फणिमुकुट राय के द्वारा दुर्गा पूजा का आयोजन शुरू किया गया था और उस परंपरा आज भी कायम रखा गया है।

पुजारी बताते है कि यहां पूजा निर्धारित समय पर ही होता है। यहां बंगाली पद्धति से पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है। वह मां दुर्गा जरूर पूरा करती है।

दुर्गा पूजा में किला खुलने पर लोगों में खासा उत्साह भी देखा जाता है। जो लोग यहां मां दुर्गा के दर्शन को आते हैं। वह अन्य भव्य पंडालों को भी भूल जाते हैं। श्रद्धालुओं की माने तो रातु किला में आयोजित होने वाला दुर्गा पूजा अलग ही आकर्षण का केंद्र है। जहां मां दुर्गा के दर्शन के साथ-साथ ऐतिहासिक किले को भी देखने का मौका मिलता है।

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