रांची: रांची जिले में शराब दुकानों की खुदरा बिक्री अब निजी हाथों में सौंपी जाएगी। इसके लिए 1 सितंबर से व्यवस्था लागू होगी। झारखंड उत्पाद विभाग की ओर से जिले की 150 दुकानों के लिए ई-लॉटरी प्रक्रिया शुरू की जा रही है, जिनमें 122 दुकानें कंपोजिट शराब (विदेशी और देशी दोनों ब्रांड्स की बिक्री वाली) और 28 दुकानें केवल देसी शराब की होंगी।
ई-लॉटरी में जिन 122 कंपोजिट दुकानों की नीलामी होनी है, उनमें सबसे महंगी दुकान रांची के नामकुम बाजार स्थित टाटा रोड के सदाबहार चौक क्षेत्र की होगी। इस दुकान का सालाना न्यूनतम गारंटीड राजस्व (MGR) ₹12,87,92,858 रखा गया है। यह राशि संबंधित दुकानदार को हर हाल में सरकार को देनी होगी। तय एमजीआर नहीं देने पर उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
सबसे सस्ती दुकान की बात करें तो वह ओरमांझी के चुटुपालू स्थित मनातू क्षेत्र में है, जिसका एमजीआर मात्र ₹98.36 लाख है।
राजस्व लक्ष्य और शुल्क संरचना:
उत्पाद विभाग ने सितंबर 2025 से मार्च 2026 तक के लिए रांची जिले से 444 करोड़ रुपए राजस्व वसूली का लक्ष्य तय किया है। वहीं, पूरे वित्तीय वर्ष का राजस्व लक्ष्य 29 करोड़ रुपए निर्धारित है।
इस ई-लॉटरी प्रक्रिया से आवेदन शुल्क के रूप में भी विभाग को करोड़ों की आमदनी होगी। दुकानों के एमजीआर के आधार पर आवेदन शुल्क तय किया गया है, जो ₹11,800 से ₹29,500 के बीच है। यह शुल्क नॉन-रिफंडेबल होगा।
एमजीआर की श्रेणियां:
8 करोड़ रुपए से ऊपर: 32 दुकानें
5 करोड़ से 8 करोड़ रुपए के बीच: 43 दुकानें
1 करोड़ से 5 करोड़ रुपए के बीच: 46 दुकानें
1 करोड़ से कम: सिर्फ 1 दुकान (चुटुपालू, मनातू)
कीमतों में अंतर का कारण:
शराब दुकानों का एमजीआर उस क्षेत्र में होने वाली औसत बिक्री के आधार पर तय किया गया है। जहां बिक्री ज्यादा है, वहां दुकान का एमजीआर अधिक है। उदाहरण के लिए, नामकुम बाजार और अरगोड़ा जैसे क्षेत्रों में हर माह एक करोड़ से अधिक की शराब बिक्री दर्ज की जाती है। इसलिए इन क्षेत्रों की दुकानों का एमजीआर सबसे ऊंचा रखा गया है।
ई-लॉटरी से जुड़ी यह प्रक्रिया शराब व्यवसाय से जुड़े निजी निवेशकों और उद्यमियों के लिए एक बड़ा अवसर बनकर सामने आई है। वहीं राज्य सरकार को इससे भारी राजस्व लाभ मिलने की उम्मीद है।