झारखंड चुनाव में स्थानीय मुद्दों की गूंज: जेएलकेएम ने किया प्रभावशाली प्रदर्शन

झारखंड चुनाव में स्थानीय मुद्दों की गूंज: जेएलकेएम ने किया प्रभावशाली प्रदर्शन

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों ने प्रदेश की राजनीति को एक नई दिशा दी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी सहयोगी दलों (एनडीए) को इस बार जेएलकेएम के कारण बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। आंकड़े यह साफ दिखाते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में जेएलकेएम ने स्थानीय मुद्दों को उठाकर भाजपा और आजसू जैसी पार्टियों को कड़ी टक्कर दी है।

ग्रामीण बनाम शहरी वोटिंग का अंतर

ग्रामीण क्षेत्रों में जेएलकेएम को भारी समर्थन मिला, जहां उनके प्रत्याशियों को कई विधानसभा सीटों पर 10,000 से अधिक वोट प्राप्त हुए। उदाहरण के तौर पर:

  • टुंडी में जेएलकेएम को 44,464 वोट मिले।
  • बेरमो में 60,871 वोटों के साथ यह भाजपा के पीछे सिर्फ 1,481 वोटों से थी।
  • सिल्ली और ईंचागढ़ में 41,000 से अधिक वोट हासिल किए।

इसके विपरीत, शहरी क्षेत्रों में पार्टी को लगभग नकार दिया गया। रांची और जमशेदपुर जैसे बड़े शहरी इलाकों में जेएलकेएम को क्रमशः 500 और 1,909 वोट ही मिले।

स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित रणनीति ने दिलाई सफलता

एनडीए जहां राष्ट्रीय मुद्दों जैसे घुसपैठ और भ्रष्टाचार को जोर-शोर से उठा रहा था, वहीं जेएलकेएम ने स्थानीयता पर ध्यान केंद्रित किया। पार्टी ने पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों के मुद्दों पर जोर दिया, जो सीधे तौर पर ग्रामीण जीवन से जुड़े हुए हैं। यही वजह है कि ग्रामीण मतदाता ने जेएलकेएम को भरपूर समर्थन दिया।

आगे की राजनीति का नया आयाम

हालांकि, इस बार जेएलकेएम से केवल एक ही विधायक, पार्टी अध्यक्ष जयराम महतो, विधानसभा में पहुंच सके हैं, लेकिन पार्टी का वोट शेयर बताता है कि आने वाले समय में यह झारखंड की राजनीति में एक प्रमुख शक्ति बन सकती है।
विशेष रूप से भाजपा और आजसू जैसी पार्टियों के लिए यह प्रदर्शन एक संकेत है कि ग्रामीण इलाकों के मुद्दों को नजरअंदाज करना उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है।

झारखंड के चुनावी परिदृश्य ने यह साबित कर दिया है कि राज्य की राजनीति में स्थानीयता कितनी महत्वपूर्ण है। भाजपा और आजसू को ग्रामीण इलाकों में जेएलकेएम के इस उभार से सीख लेनी होगी, अन्यथा आने वाले चुनावों में यह पार्टी उनके लिए और बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती है।

 

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