हजारीबाग : वैसे तो झारखंड का हजारीबाग प्रकृति की गोद में बसा हुआ है. लेकिन यहां एक दादा और पौत्र की दिल छू लेने वाली कहानी है. एक दादा अपने पौत्र की जान बचाने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ी है. हजारीबाग जिले के कटकमदाग प्रखंड अंतर्गत गांव के रहने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक कृष्णा ठाकुर के पोते की है. जिनकी परिवार की कहानी सुनकर आपकी भी आंखें नम हो जाएगी. उनके पौत्र थैलेसीमिया से ग्रसित है. उसे हर माह एक यूनिट ब्लड की जरूरत होती है.
देश के बड़े-बड़े चिकित्सकों से सेवानिवृत्त शिक्षक कृष्णा ठाकुर ने सलाह ली है. उनके अनुसार बच्चे को 10 वर्ष के अंदर अगर बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर दिया जाए तो उसे इस बीमारी से निजात मिल सकता है. बच्चा 9 वर्ष पार कर चुका है, इसलिए अब तत्काल ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है. इलाज में बड़ा खर्च है, इसलिए पूरा परिवार सकते में है. लेकिन बच्चे के दादा-दादी और मां ने अब तक आस नहीं छोड़ी है. उन्हें भरोसा है कि कोई न कोई उन्हें सहायता जरूर करेगा.
बता दें कि लगभग नौ साल पहले सेवानिवृत्त शिक्षक के पुत्र कुशेष कुमार की मृत्यु कुएं में गिरने से हो गई. उस समय मृतक कुशेष की पत्नी गर्भवती थीं. लेकिन किसे पता था कि गर्भ में पल रहा शिशु के सर से पिता का साया उठ जाएगा. कुशेष की पत्नी ममता शर्मा ने पति की मृत्यु के बाद पुत्र को जन्म दिया. लेकिन जन्म के कुछ माह बाद पता चला कि उसके बच्चे थैलेसीमिया बिमारी से ग्रसित है. लेकिन अब बच्चा 9 साल का हो गया है. उसका अब ट्रांसप्लांट होने वाला है. परिवारवालों के पास बेहतर इलाज कराने के लिए पैसे नहीं है, लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई है कि लोगों के सहयोग से उनका बच्चा ठीक हो जाएगा.
रिपोर्ट: आशिष