दिल्ली में GST काउंसिल बैठक शुरू, झारखंड ने केंद्र से क्षतिपूर्ति अनुदान मांगा। राजस्व घाटे और कम प्रति व्यक्ति आय का हवाला दिया।
रांची: दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में GST काउंसिल की दो दिवसीय बैठक (GST Council Meeting) शुरू हो गई है। इसमें देशभर के वित्त मंत्री शामिल हो रहे हैं। झारखंड की ओर से वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर और रामेश्वर उरांव मौजूद हैं। झारखंड सरकार ने केंद्र से जीएसटी के चलते हो रहे राजस्व घाटे की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति अनुदान की मांग रखी है।
झारखंड की दलील: गरीब राज्य और कम उपभोग
राज्य सरकार ने स्पष्ट कहा है कि झारखंड एक अति पिछड़ा और गरीब राज्य है। यहां प्रति व्यक्ति आय केवल ₹15,274 है। जीएसटी एक डेस्टिनेशन आधारित कर है, जिससे उपभोक्ता अधिक वाले राज्यों को फायदा होता है। झारखंड में उपभोक्ता कम होने के कारण कर संग्रहण की संभावना घट जाती है। यही वजह है कि राज्य को केंद्र से विशेष वित्तीय सहयोग की आवश्यकता है।
कोयला उत्पादक राज्यों के लिए रियायत की मांग
झारखंड सरकार ने कोयला उत्पादक राज्यों के मुद्दे को भी उठाया। वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि कोयला उत्पादन से राज्य को पर्याप्त राजस्व हिस्सा नहीं मिलता। इसलिए ऐसे राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति में विशेष रियायत मिलनी चाहिए।
GST Council Meeting : जीएसटी स्लैब पर मंथन
बैठक का दूसरा बड़ा एजेंडा है जीएसटी स्लैब में बदलाव। केंद्र सरकार 12% और 28% के स्लैब खत्म कर टैक्स संरचना को सरल बनाने पर विचार कर रही है।
अगर स्लैब कम होते हैं तो उपभोक्ताओं को सीधी राहत मिलेगी।
लेकिन राज्यों को मिलने वाला राजस्व कम होगा।
यही कारण है कि कई राज्य केंद्र से क्षतिपूर्ति अवधि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
GST Council Meeting : विपक्ष शासित राज्यों की चिंता
हाल ही में आठ विपक्ष शासित राज्यों ने कर्नाटक भवन में बैठक की थी। इन राज्यों ने केंद्र से आग्रह किया था कि स्लैब घटाने के बाद जो घाटा होगा, उसकी भरपाई के लिए अतिरिक्त अनुदान दिया जाए। राज्यों का कहना है कि उनकी कई विकास योजनाएं जीएसटी पर निर्भर हैं और राजस्व में कमी का सीधा असर जनता पर पड़ेगा।
जनता को क्या मिलेगा फायदा?
अगर जीएसटी दरों में कटौती होती है, तो जनता को उपभोक्ता वस्तुओं पर कम टैक्स देना होगा।
28% से घटकर 18% और 12% से घटकर 5% स्लैब होने की संभावना है।
इससे दैनिक उपयोग की वस्तुओं, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्टील, सीमेंट और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में राहत मिल सकती है।
विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों का मानना है कि दर कटौती का लाभ आम उपभोक्ता तक जरूर पहुंचना चाहिए।
झारखंड सहित कई राज्य केंद्र से जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। अब देखना होगा कि इस बैठक से क्या नया फार्मूला निकलता है। क्या केंद्र राज्यों की वित्तीय स्थिति को देखते हुए विशेष राहत देगा, या केवल टैक्स स्लैब में बदलाव कर उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने तक ही सीमित रहेगा?
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