डिजीटल डेस्क : Hathras Stampede Follow-up – भोले बाबा के खिलाफ एक्शन पर मौन हैं सियासी दल, राहुल ने भी सिर्फ की मुआवजे की बात। यूपी के हाथरस में हाल ही में जिस भोले बाबा उर्फ नारायण हरि साकार के सत्संग में 121 लोगों की जान चली गई, उसके खिलाफ अभी तक कोई बड़ा और सीधा एक्शन नहीं हुआ है। इसी क्रम में सबसे चौंकाने वाली जमीनी सच्चाई यही है कि कोई भी सियासी दल उसके खिलाफ खुलकर एक्शन की मांग तक नहीं कर रही, सिर्फ पीड़ितों के मुआवजे तक ही बात सीमित रह जा रही है। शुक्रवार को लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी पीड़ितों से मिलने पहुंचे तो उनके सुर में भी मुआवजे की बात तो दिखी लेकिन हादसे के बाद से गायब भोले बाबा के बारे में उन्होंने भी चुप्पी ओढ़े रखी। इसी के बाद से लाख टके का सवाल तेजी से सुर्खियों में आया है कि आखिर ऐसी कौन सी वजहें हैं जिसके चलते तमाम सियासी दलों ने हादसे के केंद्र में रहे बाबा के खिलाफ जुबान खोलने से कतरा रहे हैं।
सियासी दलों की चुप्पी के पीछे वोट वैंक वाली सियासत
हाथरस हादसे के बाद से ही जांच और एक्शन के केंद्र में जिस भोले बाबा उर्फ नारायण हरि साकार की तरप सुई होनी चाहिए, वह होकर भी उतनी और वैसी धारदार नहीं जो एकनजर में लोगों को दिख जाए। हादसे के बाद से ही भूमिगत बाबा की ओर से अधिकृत वकील खुलकर सामने आए हैं और उन्होंने स्पष्ट भी कर दिया है कि बाबा कहीं भागे नहीं हैं और यूपी में ही हैं एवं जब भी जरूरत होगी तो वह पुलिस के समक्ष पूछताछ के लिए हाजिर होने के तैयार हैं। जमीनी स्तर पर हादसे के बाद से एक बड़े वर्ग के लोगों में बाबा के खिलाफ गुस्सा है लेकिन बाबा के खिलाफ कोई एक्शन के नाम हैरत में डालने वाले अंदाज में सत्ता पक्ष और विपक्ष में एकता वाला भाव दिख रहा है। यानी बाबा के खिलाफ एकशन के नाम पर दोनों पक्ष एक पाले में हो गए हैं। न भाजपा, न बसपा और ना ही समाजवादी पार्टी या कांग्रेस ने, किसी ने भी बाबा के खिलाफ कार्रवाई की मांग नहीं की है। इसी के बाद सवाल उभरा है कि आखिर ऐसा क्या है कि सभी सियासी पार्टियां इस मुद्दे पर एक दिख रही हैं। जवाब में सिर्फ एक ही बात सामने आ रही है कि इसके पीछे वोट बैंक की सियासत है।
सियासी दलों को दलित वोटों की नाराजगी की चिंता, मायावती और चंद्रशेखर रावण के भी सुर एक
सबको चिंता सिर्फ दलित वोटरों के नाराज होने की है और इसीलिए समाजवादी पार्टी इस मामले में भाजपा सरकार को दोषी बताते नहीं अघा रही तो दूसरी ओर भाजपा की ओर से सपा मुखिया अखिलेश यादव और बाबा के संबंधों वाले तथ्य को प्रमुखता से उछाला जा रहा है। दलितों की राजनीति करने वालीं मायावती और चंद्रशेखर दोनों में 36 का आंकड़ा रहा है लेकिन हाथरस हादसे के बाद से गायब बाबा के मामले में दोनों का स्टैंड एक जैसा है। बसपा सुप्रीमो मायावती इस मुद्दे पर चुप हैं तो आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर रावण ने लोगों को उचित मुआवजा देने की मांग की है। इसी क्रम में बता दें कि सार्वजनिक रूप से अखिलेश यादव पिछले साल इटावा में बाबा के सत्संग में शामिल हुए थे और तब उन्होंने नारायण हरि साकार को बड़ा संत बताया था। अब सपा मुखिया अखिलेश यादव ने हाथरस की घटना के लिए यूपी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए लखनऊ में कहा कि बाबा के सत्संग तो होते रहते हैं और कभी कोई ऐसी घटना नहीं हुई। ये सब सरकार और प्रशासन की वजह से हुआ है।
हाथरस हादसे में मुआवजे की मांग से आगे बढ़ने की मूड में कत्तई नहीं हैं सियासी दल
बाबा उर्फ नारायण हरि साकार जब यूपी पुलिस में थे, उनका नाम सूरजपाल सिंह था। कासगंज जिले के रहने वाले बाबा दलित जाटव बिरादरी के हैं। यूपी में इस जाति के 11 प्रतिशत वोटर हैं और बाबा को मानने वाले अधिकतर लोग पिछड़े व दलित समाज के हैं। पश्चिमी यूपी के नौ जिले के लाखों लोग उनके समर्थक हैं। उनके सत्संग में जाते रहते हैं। हर महीने के पहले मंगलवार को किसी न किसी जगह पर उनका सत्संग होता है जिसमें हजारों लोग आते हैं। बताया जाता है कि बाबा का किसी भी सियासी दल से कोई सीधा या खास संबंध नहीं रहा है लेकिन उन्हें कोई नाराज नहीं करना चाहता क्योंकि सभी को दलित वोटरों को साधने की चिंता रहती है। मायावती और चंद्रशेखर की तरह बाबा भी जाटव बिरादरी से बताए जाते हैं। हाथरस में इतने लोगों की जान जाने के बाद भी पीड़ित परिवार वाले बाबा को कसूरवार नहीं मानते तो उसके पीछे भी इसी जातिगत समीकरण को वजह बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि दलित समाज में बाबा की इसी जबरदस्त पकड़ को देखते हुए सभी सियासी पार्टियां मुआवजे की राजनीति से आगे बढ़ने के मूड में कत्तई नहीं दिख रही हैं।
पीड़ितों से मिलकर राहुल गांधी बोले – प्रभावितों का दिल खोलकर मुआवजा दे और मदद करे सरकार
लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी शुक्रवार को हाथरस की भगदड़ में जान गंवाने वाले पीड़ितों के घर पहुंचे। उन्होंने मृतकों के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें सांत्वना दी। दिल्ली से सड़क मार्ग द्वारा राहुल गांधी सुबह-सुबह अलीगढ़ के पिलखना पहुंचे। वहां वह हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों से मिले। फिर वह हाथरस में नवीपुर खुर्द, विभव नगर स्थित ग्रीन पार्क पहुंचें। वहां वह आशा देवी, मुन्नी देवी, ओमवती के परिवार वालों से मिले। शोक संतप्त परिवारों से मिलने के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, ‘यह दुखद हादसा है। बहुत परिवारों को नुकसान हुआ है। काफी लोगों की मृत्यु हुई है। प्रशासन की कमी तो है और भी गलतियां हुई हैं। पीड़ित परिवारों को सही मुआवजा मिलना चाहिए। मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से विनती करता हूं कि दिल खोलकर मुआवजा दें। मुआवजा जल्दी से जल्दी देना चाहिए। परिवारवालों से मेरी बातचीत हुई है।‘ इससे पहले अलीगढ़ के थाना अकराबाद क्षेत्र के गांव पिलखाना में राहुल गांधी ने हादसे के मृतक मंजू की सास को आश्वस्त किया कि वह अपने स्तर से हर संभव उनकी मदद करेंगे और कहा कि अब वह इस स्तर पर है कि पीड़ित परिवारों की लड़ाई लड़ने के साथ उनकी सरकार द्वारा हर संभव मदद करायेंगे।