रांची : शेल कंपनियों का मामला- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों के शेल कंपनी चलाने और सीएम के
खान आवंटन मामले पर गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.
अब इस मामले की सुनवाई मंगलवार, 24 मई को होगी.
बता दें कि सुनवाई शुरू होते ही राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट से समय मांगा.
उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की गई है.
इसे ध्यान में रखते हुए उन्हें समय दिया जाए.
इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 4 दिन का समय दिया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 मई को होगी.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ED की ओर से कोर्ट को सौंपे गए
दस्तावेज देखकर ऐसा लगता है कि यह मामला काफ़ी महत्वपूर्ण है और जनहित से जुड़ा हुआ है.
सरकार इस याचिका का विरोध क्यों कर रही है? इससे पहले कोर्ट के आदेश पर खूंटी में मनरेगा घोटाले से संबंधित सभी 16 केसों का डॉक्यूमेंट कोर्ट में सौंपी गई. इसके साथ ही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से जानना चाहा कि एक चार्जशीटेड अधिकारी को एफिडेविट दायर करने के लिए कैसे अधिकृत किया जा सकता है?
सरकार ने मांगी ED की ओर से जमा की गई जानकारी
इसके साथ ही सरकार कोर्ट से मांग की है कि ED की ओर से कोर्ट में दी गई जानकारी सरकार को भी दी जाए. इस पर ED के वकील तुषार मेहता ने कहा कि ये जानकारी सिर्फ कोर्ट के लिए है सरकार के लिए नहीं.
पिछली सुनवाई को ED ने खोले थे कई अहम राज
कोर्ट को ED के वकील तुषार मेहता ने बताया, ‘2010 में 16 FIR हुई थी. इसके बाद ED ने अपनी जांच में पाया कि करोड़ों रुपए पूजा सिंघल के पास हैं. उन्हें मिलने वाली रिश्वत की रकम सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों तक पहुंचती थी. रिश्वत के पैसों को शेल कंपनी के माध्यम से मनी लॉड्रिंग की जाती थी. जांच में कुछ लोगों ने यह स्वीकार किया है कि मनी लॉड्रिंग होती थी. एक व्यक्ति ने मनी लॉड्रिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली कंपनियों की लिस्ट दी है.’
रिपोर्ट : प्रोजेश दास