Ranchi– विभिन्न आदिवासी-मूलवासी संगठनों ने तेतर टोली बरियातू में बैठक कर हेमंत सरकार द्वारा भोजपुरी मगही को स्थानीय भाषा का दर्जा दिए जाने का विरोध करते हुए सरकार को चेतावनी दी है.
इस अवसर पर पूर्व मंत्री और अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष गीताश्री उरांव ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी कीमत पर इन भाषाओं को स्थानीय भाषा के बतौर स्वीकार नहीं किया जा सकता.
गीताश्री उरांव ने हेमंत सरकार से झारखंड की 9 क्षेत्रीय भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा के रुप में मान्यता देने, आंध्र प्रदेश की तर्ज पर स्थानीय नीति का निर्माण करने और 1932 का खतियान लागू करने मांग की.
आदिवासी-मूलवासी संगठनों की ओर से 1 फरवरी को पूरे झारखंड में मशाल जुलूस और पुतला दहन करने, 2 फरवरी को मानव श्रंखला निकालने और 14 मार्च को विधान सभा का घेराव करने का निर्णय लिया गया.
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए एक कोर कमेटी का गठन करते हुए पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो, पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, प्रदेश अध्यक्ष (अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद) पूर्व मंत्री देव कुमार धान (आदिवासी महासभा), सुशील उरांव (आदिवासी छात्र संघ ) अंतू तिर्की (आदिवासी संयुक्त मोर्चा ), प्रेम शाही मुंडा (आदिवासी जन परिषद ) शीतल ओहदार, राम पोदो महतो ( कुर्मी विकास मोर्चा) आजम अहमद, ( कौमी तहरीफ ) कुंदर्शी मुंडा, अभय भूट कुवर (आदिवासी लोहरा समाज) (अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद), शिव टहल नायक (झारखंड दलित संघर्ष समिति), अजीत उरांव( क्षेत्रीय पड़हा समिति ), मुकेश भगत अध्यक्ष (मुखिया संघ), भुनेश्वर केवट सीपीआई(एमएल ), सुभाष मुंडा (आदिवासी अधिकार मंच), अजय तिर्की (केंद्रीय सरना समिति ), बबलू मुंडा (केंद्रीय सरना समिति ), अजय टोप्पो ( आदिवासी छात्र मोर्चा), जगन्नाथ उरांव (आदिवासी संघर्ष मोर्चा ), कुलदीप तिर्की (क्रिश्चियन यूथ कमिटी एसोसिएशन), निरंजना हेरेंज (जय केंद्रीय परिषद) को इसका सदस्य बनाया गया. जबकि अंतू तिर्की और प्रेम शाही मुंडा प्रवक्ता बनाया गया.
रिपोर्ट शाहनवाज
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