रांची: झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति की राज्यस्तरीय मेरिट लिस्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर करीब पांच घंटे तक मैराथन सुनवाई हुई। यह सुनवाई जस्टिस दीपक रोशन की अदालत में हुई, जिसमें याचिकाकर्ताओं और राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत पक्षों को विस्तार से सुना गया।
हालांकि, समय की सीमा के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी, जिस पर अदालत ने सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए स्थगित करते हुए अगली तिथि पर बहस जारी रखने का निर्देश दिया।
क्या है मामला?
वर्ष 2016 में जारी हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति की राज्यस्तरीय मेरिट लिस्ट को लेकर कुल 252 याचिकाएं झारखंड हाईकोर्ट में दाखिल की गई हैं। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि नियुक्ति सूची में गंभीर अनियमितताएं और त्रुटियां हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से क्या कहा गया?
अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता तेजस्विता सफलता ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार द्वारा दाखिल शपथ पत्र में पदों की संख्या को लेकर विरोधाभास है।
उन्होंने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोनी कुमारी बनाम राज्य सरकार मामले में 425 अभ्यर्थियों की नियुक्ति का आदेश दिया गया था, लेकिन सरकार ने शपथ पत्र में बताया कि सिर्फ 377 ने योगदान दिया। इसके बावजूद 1000 अभ्यर्थियों की नियुक्ति कैसे हो गई, यह बड़ा सवाल है।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि मेरिट लिस्ट तैयार करते समय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया गया है और कई अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्हें कम अंक होने के बावजूद नियुक्ति मिल गई, जबकि अधिक अंक वालों को वंचित कर दिया गया।
कोर्ट का रुख
अदालत ने प्रारंभिक रूप से मामले की गंभीरता को देखते हुए झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) के अधिकारियों को लिस्ट की जांच और सत्यापन करने का निर्देश दिया है।
मीना कुमारी एवं अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दाखिल याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि न्यायालय में हस्तक्षेप आवश्यक है, ताकि योग्य अभ्यर्थियों को न्याय मिल सके और नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी बने।
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