पूर्णिया : पूर्णिया जिले के बनमनखी के सिलकीगढ़ धरहरा से होली की शुरुआत हुई है। मान्यता के अनुसार, प्राचीन काल में इसी सिकलीगढ़ में भगवान नरसिंह ने अवतार लेकर राक्षस राज हिरण कश्यप का वध किया था। जहां भक्त प्रहलाद के पिता हिरण कश्यप के निर्देश पर उनकी बहन होलिका ने विष्णु भक्त प्रहलाद को जलाकर मारने का प्रयास किया लेकिन आग में जलकर राक्षसी होलिका जलकर खाक हो गई। अब बनमनखी के सिलकीगढ़ में होने वाला होलिका दहन राजकीय महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।
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पूर्णिया मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर सिलकीगढ़ में पौराणिक मंदिर है
पूर्णिया मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर सिलकीगढ़ में पौराणिक मंदिर है जहां देश और विदेशों से भक्तों का जमावड़ा पहुंचता है। सिलकीगढ़ के इस भूमि पर कई प्रमाण अभी मौजूद हैं जो इस बात की पुष्टि करता है कि भगवान नरसिंह का अवतार इसी जगह पर हुआ था। वहीं होलिका दहन के मौके पर भव्य आतिशबाजी का आयोजन किया जाता है। मौके पर स्थानीय शिकेस यादव ने बताया कि प्रारंभिक समय से अब तक काफी कुछ बदलाव हुआ है लेकिन राष्ट्रीय महोत्सव घोषित होने के बाद यहां उस रफ्तार में विकास नहीं हो पाया है।
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हजारों वर्षो से यहां मंदिर में भगवान नरसिंह का मंदिर स्थापित हैं – पुरोहित आमोद कुमार झा
वहीं स्थानीय अवधेश कुमार साह ने बताया कि हमलोग अपने पूर्वजों से सुनते आ रहे हैं कि इसी जगह पर भगवान नरसिंह खंभे से प्रकट हो कर हिरण कश्यप का सीना चीर कर भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। वहीं भगवान नरसिंह मंदिर के पुरोहित आमोद कुमार झा ने बताया कि हजारों वर्षो से यहां मंदिर में भगवान नरसिंह का मंदिर स्थापित हैं। यहीं से होली और होलिका दहन की परंपरा चलती आ रही हैं। आज के होलिका दहन को लेकर वृहत्त पैमाने पर तैयारी की जा रही है।
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श्याम मोहन की रिपोर्ट