महाकुंभ 2025 में शाही स्नान के नाम को CM Yogi ने बदल कर किया अमृत स्नान

महाकुंभ 2025 के दौरान मंगलवार को सनातनी अखाड़ों के संगम में अमृत स्नान का दृश्य

जनार्दन सिंह की रिपोर्ट

प्रयागराज :  महाकुंभ 2025 में शाही स्नान के नाम को CM Yogi ने बदल कर किया अमृत स्नान। महाकुंभ में सनातन धर्म के संतों के अखाड़ों के भव्य-दिव्य स्नान को शाही स्नान के नाम से पुकारे जाने की परंपरा को महाकुंभ 2025 में परिवर्तित कर दिया गया है। इसमें प्रयुक्त शाही शब्द को लेकर कई बार संत समाज ने अलग-अलग मंच पर आपत्तियां भी जताई थीं कि यह शब्द सनातनी परंपरा का नहीं है और इसलिए सनातनी धर्म-काज में उपयोग या व्यवहार में ना लाया जाए।

इसी आपत्ति के देखते हुए आधिकारिक तौर पर पहली पर इस वर्ष महाकुंभ 2025 के कार्यक्रम की रूपरेखा बनने के दौरान के दौरान से ही यूपी के CM Yogi आदित्यनाथ ने इस बिंदु पर विशेष ध्यान दिया।

CM Yogi ने शुरू से ही सनातनी अखाड़ों के महाकुंभ के दौरान होने वाले भव्य और दिव्य स्नान के आयोजन को अमृत स्नान कहा एवं बाद में सरकारी तौर पर जारी आधिकारिक नोटिफिकेशन और विस्तृत ब्योरे में भी शाही स्नान के स्थान अमृत स्नान का प्रयोग किया गया। इसे लेकर संत समाज ने महाकुंभ 2025 के दौरान काफी प्रसन्नता जाहिर की है एवं सरकारी दृष्टिकोण को सराहा है।

शाही शब्द हटाकर स्नान में अमृत शब्द जोड़ने से संत समाज उत्साहित

शाही स्नान के बजाय सनातनी संतों के अखाड़े के भव्य-दिव्य स्नान को अमृत स्नान नाम दिए जाने से महाकुंभ 2025 में पधारे सभी 13 प्रमुख अखाड़ों के पदाधिकारियों एवं सदस्य संतों ने मुक्त कंठ से CM Yogi आदित्यनाथ एवं उत्तर प्रदेश सरकार की सराहना की है। संतों का कहना है कि अरसा बाद संतों की सोच और विचार का सरकारी तौर पर आदर-सत्कार हुआ है, यह अभिनंदनीय है।

महाकुंभ 2025 के पहले शाही - अमृत स्नान के लिए संगम तट को पहुंचते सनातनी अखाड़ों के संत।
महाकुंभ 2025 के पहले शाही – अमृत स्नान के लिए संगम तट को पहुंचते सनातनी अखाड़ों के संत।

CM Yogi के अमृत स्नान के शब्द के प्रयोग किए जाने से संगम तट महाकुंभनगरी पधारे न केवल संत-साधु समाज बल्कि आम श्रद्धालु और तीर्थयात्री भी खासा आह्लादित है। विशेष तौर पर मंगलवार को सुबह 6.15 बजे संगम तट पर तय समय पर शुरू होने वाले अमृत स्नान का क्रेज देखते ही बन रहा था। अमृत स्नान को देखने, दर्शन करने और उसका जीवंत गवाह बनने के लिए जितनी उत्सुकता श्रद्धालुओं-तीर्थयात्रियों में रही, उतना ही मर्यादित

अमृत स्नान के लिए मंगलवार को संगम तट को जाते अटल अखाड़े के संतजन।
अमृत स्नान के लिए मंगलवार को संगम तट को जाते अटल अखाड़े के संतजन।

आचरण और व्यवहार का पूरा ख्याल संत समाज के साथ चलने वाली पूरी विहंगम टोली ने भी रखा। कुल मिलाकर CM Yogiआदित्यनाथ ने शाही का नाम बदलकर अमृत स्नान कर दिया है जिससे महाकुंभ में पधारे संत उत्साहित हैं। ध्वज-पताका, बैंड बाजा के साथ अखाड़े स्नान करने जाने लगे हैं। आचार्य महामंडलेश्वर व मंडलेश्वर भव्य रथ पर आसीन हैं। ढोल-बाजे के साथ संतों के रथ घाट की तरफ बढ़ने लगे हैं।

महाकुंभ 2025 में आज का नजारा।
महाकुंभ 2025 में आज का नजारा।

महाकुंभ में अमृत स्नान के साथ ही इसकी मान्यता और महत्ता को भी जानें…

सनातन हिंदू धर्म में एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होता है महाकुंभ। इस साल यह आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पवित्र आयोजन के दौरान गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके सभी पाप धुल जाते हैं।

महाकुंभ 2025
महाकुंभ 2025

महाकुंभ के दौरान कुल तीन अमृत स्नान होंगे, जिसमें से पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को आज है। दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर और तीसरा 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन किया जाएगा। इसके अलावा माघी पूर्णिमा, पौष पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के दिन भी कुंभ स्नान किया जाएगा, लेकिन इन्हें अमृत स्नान के नहीं माना जाता।

बता दें कि महाकुंभ के दौरान कुछ विशेष तिथियों पर होने वाले स्नान को शाही (अब अमृत स्नान ) कहा जाता है। इस नाम के पीछे विशेष महत्व और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है। माना जाता है कि नागा साधुओं को उनकी धार्मिक निष्ठा के कारण सबसे पहले स्नान करने का अवसर दिया जाता है। वे हाथी, घोड़े और रथ पर सवार होकर राजसी ठाट-बाट के साथ स्नान करने आते हैं। इसी भव्यता के कारण इसे शाही स्नान (अमृत स्नान )नाम दिया गया है।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, प्राचीन काल में राजा-महाराज भी साधु-संतों के साथ भव्य जुलूस लेकर स्नान के लिए निकलते थे। इसी परंपरा ने शाही स्नान (अमृत स्नान) की शुरुआत की। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि महाकुंभ का आयोजन सूर्य और गुरु जैसे ग्रहों की विशिष्ट स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाता है, इसलिए इसे “राजसी स्नान” भी कहा जाता है। यह स्नान आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है।

महाकुंभ 2025 में आज अमृत स्नान का नजारा।
महाकुंभ 2025 में आज अमृत स्नान का नजारा।

महाकुंभ में पावन और भव्य-दिव्य अमृत स्नान के भी हैं कुछ अपने नियम, जानिए…

अमृत स्नान के दिन सबसे पहले स्नान करने अधिकार नागा साधुओं का होता है। उसके बाद अन्य प्रमुख साधु-संत स्नान करते हैं और फिर गृहस्थ व्यक्ति स्नान करते हैं। अमृत स्नान के दिन साधु-संत और नागा बाबा के स्नान करने के बाद ही स्नान करना चाहिए, वरना कुंभ स्नान का फल प्राप्त नहीं होता है।

महाकुंभ 2025 के पहले शाही - अमृत स्नान के लिए संगम तट को पहुंचते सनातनी अखाड़ों के संत।
महाकुंभ 2025 के पहले शाही – अमृत स्नान के लिए संगम तट को पहुंचते सनातनी अखाड़ों के संत।

अमृत स्नान के दिन महाकुंभ में स्नान करने वाले हैं, तो साफ-सफाई का खास ध्यान रखें. गंगा में स्नान करते समय साबुन, शैंपू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। महाकुंभ स्नान करने के बाद संगम किनारे स्थित लेटे हुए हनुमान जी और अक्षय वट मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए महाकुंभ में अमृत स्नान के बाद गरीब और जरूरतमंदों का अन्न, धन, वस्त्र और तिल आदि का दान करना चाहिए।

महाकुंभ 2025 के पहले शाही - अमृत स्नान के लिए संगम तट को पहुंचते सनातनी अखाड़ों के संत।
महाकुंभ 2025 के पहले शाही – अमृत स्नान के लिए संगम तट को पहुंचते सनातनी अखाड़ों के संत।

महाकुंभ भारतीय समाज के लिए न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें अमृत स्नान (अमृत स्नान) के साथ मंदिर दर्शन, दान-पुण्य और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। महाकुंभ में भाग लेने वाले नागा साधु, अघोरी और संन्यासी हिंदू धर्म की गहराई और विविधता को दर्शाते हैं। महाकुंभ का यह आयोजन धार्मिक आस्था, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

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