रांची: झारखंड सरकार की महिला केंद्रित मंईयां सम्मान योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। इस योजना के तहत महिलाओं को दी जाने वाली सहायता राशि का लाभ बिहार और पश्चिम बंगाल के 40 पुरुषों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उठा लिया। यह खुलासा पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल अंतर्गत छोलागोड़ा गांव में जांच के दौरान हुआ।
घटना के सामने आने के बाद महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के निदेशक विजय सिन्हा ने पूरे राज्य में जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने माना कि योजना के शुरुआती दौर में स्वीकृत हुए कई आवेदनों में गड़बड़ी हुई है।
172 लाभुकों पर FIR, 40 निकले पुरुष
गालूडीह थाना में पंचायत सचिव मंगल टूडू के बयान पर बुधवार को 172 फर्जी लाभुकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इनमें 40 पुरुष ऐसे हैं, जिन्होंने खुद को झारखंड के छोलागोड़ा गांव का निवासी बताते हुए महिला योजना की राशि प्राप्त की। जांच में सामने आया कि ये सभी बिहार के ठाकुरगंज और पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले के निवासी हैं।
इस मामले की जांच का जिम्मा इंस्पेक्टर बीएन सिंह को सौंपा गया है। एफआईआर उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी के आदेश पर दर्ज हुई है।
ये हैं वो पुरुष जिन्होंने महिला योजना का लाभ लिया
बिहार के ठाकुरगंज के – सताबुल आलम, मशरफ अली, मोतिन, फजलुद्दीन, इस्लामुद्दीन, हासिम, महबूब आलम, साबिर आलम, सबिला, मो. ताहिर आलम
प. बंगाल के चोपड़ा (उत्तर दिनाजपुर) के – हमीदूर रहमान, फारुख आजम, अबुला, इस्मुद्दीन, अशरफुल आलम, मजहर अली, कफलुद्दीन, कबरूद्दीन इस्लाम, जमीरुल हक, अख्तर अली, समर अली, अख्तर रजा, रियान खान, कलीमुद्दीन, आबिद, उस्मान अली, मो. हमीदुल्ला हक, नूर आलम, फारूक आजम, रइमुद्दीन, रफीकुल इस्लाम, नजरुल इस्लाम, हन्नान अली, शफीउल रहमान, अबू बकर सिद्दीकी, कफीजद्दीन, नूर आलम, अशरफुल हक, सफिरुल इस्लाम।
सॉफ्टवेयर फॉल्ट और लापरवाही से पनपा फर्जीवाड़ा
यह योजना अगस्त 2024 में शुरू हुई थी। योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया एक निजी सॉफ्टवेयर कंपनी के माध्यम से संचालित की गई थी। आवेदन की स्वीकृति ग्रामीण क्षेत्रों में बीडीओ और शहरी क्षेत्रों में अंचल अधिकारी को दी गई थी, जबकि पंचायत सचिव को दस्तावेजों की जांच करनी थी।
सूत्रों के अनुसार, योजना की शुरुआत में कई आवेदनों को बिना जांच के ही स्वीकृत कर दिया गया, जिसका लाभ साइबर ठगों ने उठाया। बाद में जब आधार से लिंक्ड बैंक खाता अनिवार्य किया गया और भौतिक सत्यापन शुरू हुआ, तब जाकर यह फर्जीवाड़ा सामने आया।
सरकारी पैसे की खुली लूट
इन फर्जी लाभुकों ने योजना के तहत दी जाने वाली हजारों से लेकर लाखों रुपये तक की राशि हड़प ली। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब पूरे राज्य में लाभुकों का पुनः सत्यापन कराया जाएगा और दोषी कर्मियों तथा लाभुकों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।