झारखंड चुनाव: राजनीतिक बिसात पर दिलचस्प दांव

झारखंड चुनाव: राजनीतिक बिसात पर दिलचस्प दांव

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारी जोरों पर है, और यहां की राजनीतिक बिसात पर चाशनी के साथ बिछी हुई कुर्सियों की तरह सब कुछ तैयार है। भाजपा और झामुमो जैसे दो घुड़सवार एक-दूसरे को मात देने के लिए अपनी-अपनी चालें चलने में लगे हैं। तो चलिए, झारखंड की इस चुनावी कुश्ती में मजेदार नज़ारा देखते हैं!

सिसई विधानसभा क्षेत्र में विधायक जिगा सुसारन होरो फिर से मैदान में हैं। लगता है जैसे होरो ने अपने विकास के कामों का प्रचार करने के लिए ‘बैक टू द फ्यूचर’ योजना बनाई है। 2019 में भाजपा के दिनेश उरांव को धूल चटाने के बाद, अब डॉ. अरुण उरांव को लाकर भाजपा ने एक नया मोड़ लिया है। लेकिन उनके सामने जेंगा उरांव जैसे निर्दलीय खिलाड़ी की चुनौती है, जो जैसे समझो एक पत्ते की तरह इधर-उधर होने वाले हैं।

गुमला में झामुमो के भूषण तिर्की की प्रतिष्ठा दांव पर है, जबकि भाजपा ने सुदर्शन भगत को अपने रंग में रंगने का मौका दिया है। आदिवासी समुदाय की बड़ी संख्या यहां बहुत कुछ कहती है, लेकिन मिशिर कुजूर और अमित एक्का जैसे बागी उम्मीदवारों की उपस्थिति ने सुदर्शन भगत की जीत की संभावनाओं को हिलाकर रख दिया है। जैसे किसी विवाह में जब दूल्हा और दुल्हन की जगह बागी आ जाएं, तो मजा ही आ जाता है।

बिशुनपुर में झामुमो के चमरा लिंडा फिर से लडाई के लिए तैयार हैं। समीर उरांव अपनी जीत के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं, लेकिन यहां के 15 उम्मीदवारों की भीड़ में कौन किसका काम तमाम करेगा, कहना मुश्किल है। बागी राम प्रसाद बड़ाइक का नाम सुनकर तो लगता है जैसे सिनेमा में कोई स्पेशल गेस्ट आ गया हो।

इन चुनावी दांव-पेचों के बीच, भाजपा और झामुमो की रणनीतियों में हंसी का रस घुल रहा है। क्या आपको याद है जब ‘चाय पे चर्चा’ हुआ करता था? अब तो ‘राजनीति पे चर्चा’ हो रही है, जिसमें सभी अपने-अपने तरीके से विकास की बात कर रहे हैं। मतदाता अब ये सोच रहे होंगे कि कौन सा दल उनके मुद्दों का सही प्रतिनिधित्व करता है, जैसे बॉलिवुड में अच्छे और बुरे पात्रों की पहचान करते हैं।

झारखंड में इस बार का चुनाव केवल सीटों की लड़ाई नहीं है, बल्कि एक मनोरंजन का साधन भी बनता जा रहा है। राजनीतिक बिसात पर हर कोई अपनी चाल चलने में लगा है। देखना होगा कि अगले कुछ हफ्तों में कौन सी चाल जीत दिलाएगी और किसका सपना टूट जाएगा।
जैसे कहा जाता है, “चुनाव के मैदान में सब कुछ चलता है,” तो हमें भी इस खेल का मजा लेना चाहिए, क्योंकि हंसी और राजनीति का यह संगम हमेशा से दिलचस्प रहा है!

 

 

Share with family and friends: