Desk. चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाताओं द्वारा किसी भी प्रतिकूल फैसले के बाद यह कहकर चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश करना पूरी तरह से बेतुका है कि यह समझौता कर चुका है। भारत में सभी चुनाव कानून के अनुसार होते हैं। भारत में जिस पैमाने और सटीकता से चुनाव होते हैं, उसकी दुनिया भर में प्रशंसा की जाती है।
चुनाव आयोग को बदनाम करना बेतुका है
आयोग ने कहा कि पूरा देश जानता है कि मतदाता सूची तैयार करने, मतदान और मतगणना सहित प्रत्येक चुनाव प्रक्रिया सरकारी कर्मचारियों द्वारा की जाती है और वह भी मतदान केंद्र से लेकर निर्वाचन क्षेत्र स्तर तक राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त अधिकृत प्रतिनिधियों की मौजूदगी में सम्पन्न होती है।
किसी के द्वारा फैलाई गई कोई भी गलत सूचना न केवल कानून के प्रति अनादर का संकेत है, बल्कि अपने स्वयं के राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों को भी बदनाम करती है और लाखों चुनाव कर्मचारियों को हतोत्साहित करती है जो चुनावों के दौरान अथक और पारदर्शी तरीके से काम करते हैं।
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार देश के हर पोलिंग स्टेशन पर कार्य करने वाले साढ़े दस लाख BLOs राहुल गांधी के इस झूठे और बेबुनियाद आरोप से गुस्से में तो हैं ही, और अब इन साढ़े दस लाख पोलिंग स्टेशन पर वोटिंग की जिम्मेदारी निभाने वाले पचास लाख पोलिंग अधिकारी भी राहुल गांधी के इस झूठे और बेबुनियाद आरोप से गुस्से में हैं।
यह बहुत ही अजीब है कि चुनाव आयोग को सीधे पत्र लिखने के बजाय, 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस को चुनाव आयोग द्वारा लिखे गए विस्तृत पत्र के बावजूद, राहुल गांधी बार-बार अपनी निराधार शंकाओं का उत्तर मांगने के लिए मीडिया से बात कर रहे हैं और पत्र लिख रहे हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि राहुल गांधी चुनाव आयोग को व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखकर उत्तर पाने से क्यों कतरा रहे हैं?
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