रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही वादों की बारिश शुरू हो चुकी है। जहां सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ‘मैया सम्मान योजना’ के तहत महिलाओं को प्रतिमाह राशि देने का वादा कर रही है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ‘गोगो दीदी योजना’ के माध्यम से 21 लाख घरों का निर्माण करने और हर महीने एक निश्चित राशि देने की घोषणा की है।
बीजेपी के नेताओं ने एलपीजी सिलेंडर पर भी ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें उन्होंने वादा किया है कि अगर उनकी सरकार आती है तो वे 500 रुपये प्रति सिलेंडर की सब्सिडी देने का लक्ष्य रखेंगे। यह वादे चुनावी मौसम में किए जा रहे हैं, जो अक्सर आश्वासनों के साथ जुड़े होते हैं, जैसे कि ‘गोगो दीदी’ और ‘मैया सम्मान योजना’।
हालांकि, इस चुनावी मौसम में किए गए वादों पर लोग संशय व्यक्त कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव के समय किए गए ये वादे, अधिकांशतः चुनावी लॉलीपॉप के समान होते हैं, जो लोगों को केवल वोट के लिए लुभाने का काम करते हैं। एक राजनीतिक विशेषज्ञ ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “ये वादे प्रेमी प्रेमिकाओं के वादों की तरह होते हैं, जो चांद को धरती पर लाने की बात करते हैं।”
समाज के विभिन्न वर्गों के बीच निराशा बढ़ती जा रही है क्योंकि आम जनता चाहती है कि सरकारें केवल अस्थायी राहत के बजाय स्थायी समाधान पर ध्यान केंद्रित करें।
वर्तमान स्थिति यह है कि कोई भी पार्टी गरीबी की जड़ समस्या पर बात करने को तैयार नहीं है। चुनावों के समय इन योजनाओं की घोषणाएं केवल वोट बटोरने का साधन बन गई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जनता इन वादों पर विश्वास करती है या वास्तविकता में बदलाव की चाह रखती है।