रांची : झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन कुल पांच विधेयक पास हुए. जबकि एक विधेयक को विरोध के चलते सरकार ने वापस ले लिया. इसके बाद सदन की कार्यवाही शुक्रवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
झारखंड विधानसभा: सदन से ये विधेयक हुए पास
सत्र के दौरान सरकार ने झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2022, झारखंड कोर्ट फीस संशोधन विधेयक 2022, झारखंड आकस्मिकता निधि संशोधन विधेयक 2022, सोना देवी विश्वविद्यालय विधेयक 2022 और बाबू दिनेश सिंह विश्वविद्यालय विधेयक 2022 को सदन से पास कराया. वहीं जैन विश्वविद्यालय विधेयक 2022 बिल को हेमंत सरकार ने विरोध के चलते वापस ले लिया.
विधानसभा कमेटी करेगी निजी विश्वविद्यालयों की जांच
जैन विश्वविद्यालय विधेयक 2022 बिल वापस होने के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने अब तक बने सभी निजी विश्वविद्यालयों की जांच के लिए स्पीकर से कमेटी बनाने की मांग की. सीएम ने स्पीकर रबिंद्रनाथ महतो से कमेटी बनाने का आग्रह किया.

कोरोना पर बोले सीएम- स्थिति को देखते हुए लिया जाएगा निर्णय
चीन में बढ़ते कोरोना वायरस को लेकर भारत सरकार ने सभी राज्यों को अलर्ट जारी किया है. उसी को देखते हुए झारखंड भी अलर्ट पर है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोरोना की स्थिति पर सरकार की नजर है. स्थिति को देखते हुए सरकार निर्णय लेगी.

विरोध के कारण जैन विश्वविद्यालय विधेयक 2022 वापस
सदन की कार्यवाही के दौरान प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने जैन विश्वविद्यालय विधेयक 2022 को सदन के पटल पर रखा, लेकिन त्रुटि को देखते हुए और विरोध के कारण इस विधेयक को वापस ले लिया गया.
इस विधेयक का सदन में विधायक विनोद सिंह ने विरोध किया. उन्होंने कहा 2017 में इसी संस्था को एक पॉलिटेक्निक कॉलेज की अनुमति दी गई थी. अब यही संस्था केवल नाम बदलकर जैन विश्वविद्यालय के नाम से संस्था खोलना चाहती है. अनंत ओझा ने कहा जो संस्था पांच साल एक कॉलेज नहीं चला सकी, उसे फिर अनुमति क्यों दी जा रही है. वहीं लंबोदर महतो ने मांग रखी कि 16 निजी विश्वविद्यालय जो पहले से चल रही है उसकी एक कमेटी बनाकर जांच की जाये. इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का मांग किया, लेकिन मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि इस विधेयक में कुछ खामियां हैं. इसलिए इसे सरकार वापस लेती है.
झारखंड विधानसभा: एक कमरे में चलता है निजी विश्वविद्यालय
मनीष जायसवाल ने कहा पिछले 8 वर्षों में जितने निजी विश्वविद्यालय विधेयक पास हुए हैं उनमें एक भी विश्वविद्यालय नियमों का पालन नहीं कर रही है. सिर्फ एक कमरे में चलता है. कोई भी विश्वविद्यालय बिना अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर को तैयार किये बगैर शुरुआत नहीं करें. क्योंकि जिला मुख्यालय में इसके लिए कार्यालय अलग होते हैं. इसमें स्थानीय को 75 फीसदी नौकरी भी मिलनी चाहिए.
रिपोर्ट: मदन सिंह
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