रांचीः- केन्द्र सरकार द्वारा डीवीसी का बकाये का 714 करोड़ की राशि राज्य सरकार के आरबीआइ खाते काटते ही झारखंड बिजली वितरण निगम ने एचईसी की बिजली काट दी है।
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बताया जा रहा है कि यह केन्द्र सरकार द्वारा उठाये गए कदम की प्रतिक्रिया है। सत्ताधारी गठबंधन की मुख्य पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अंदेशा जताया था कि बकाया 2100 करोड़ की राशि भी अक्टूबर से दिसंबर तक खाते से काट ली जाएगी। इस स्थिति में राज्य कर्मियों की सैलरी देना भी मुश्किल हो जाएगा।
बताया जा रहा है कि एचईसी पर झारखंड बिजली वितरण निगम का 126 करोड़ का बकाया है। बिजली वितरण निगम ने एचईसी बकाये राशि का भुगतान करने के लिए सात अगस्त को नोटिस भी भेजा था।
एचईसी की आर्थिक स्थिति भी बेहतर नहीं है। हालात यह है कि एचईसी समय पर कर्मियों के वेतन का भी भुगतान भी नहीं कर पा रही है।
मामले में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का कहना है कि डीवीसी का भाजपा शासित प्रदेशों पर करोड़ों रुपये बकाया है, लेकिन केंद्र सरकार उन राज्यों के पैसे नहीं काट रही है। सिर्फ झारखंड के आरबीआइ खाते राशि का काटा जाना इस बात का सबूत है कि केन्द्र सरकार राज्य के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। जबकि झारखंड के साथ सख्ती बरती जा रही है। 10 महीने पहले झारखंड के खाते से बकाये की पहली किश्त के रूप में 1417 करोड़ रुपये काटे गए थे। 10 महीने पहले भी झारखंड के खाते से बकाये की पहली किश्त के रूप में 1417 करोड़ रुपये काटे गए थे।
यानि हैवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन की बिजली काट दी है। बताया गया कि एचईसी पर 126 करोड़ रुपये बकाया है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा डीवीसी का बकाया सीधे झारखंड के आरबीआइ खाते से काटे जाने की यह प्रतिक्रिया है।
बताया गया कि सात अगस्त को एचईसी को नोटिस भेजी गई थी। बकाया भुगतान नहीं करने पर बिजली काटने की नोटिस दी गई। अभी बिजली की एचटी की आपूर्ति रुकी है। बिजली कटौती का अभी रिहायशी इलाके पर असर नहीं है। एचईसी लगातार वित्तीय समस्याओं से जूझ रहा है। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण यहां के कर्मचारियों को समय पर सैलरी भी नहीं मिल पाती है। इसे लेकर यहां लगातार धरना-प्रदर्शन होता रहता है।
डीवीसी की बकाया रकम काटने पर राज्य सरकार ने जताया विरोध, कहा भेदभाव कर रही केंद्र सरकार
झारखंड सरकार इसे भेदभावपूर्ण व्यवहार बताते हुए विरोध जता रही है। वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का कहना है कि भाजपा शासित प्रदेशों में डीवीसी के करोड़ों रुपये बकाया होने के बाद भी केंद्र सरकार उन राज्यों के पैसे नहीं काट रही है, जबकि झारखंड के साथ सख्ती बरती जा रही है। 10 महीने पहले झारखंड के खाते से बकाये की पहली किश्त के रूप में 1417 करोड़ रुपये काटे गए थे।
तब झारखंड सरकार ने कैबिनेट की बैठक कर इस समझौते को अपनी तरफ से रद करते हुए केंद्र को जानकारी दी और ऊर्जा मंत्रालय और आरबीआइ को पत्र लिखकर भविष्य में बकाया की रकम केंद्र के खाते से नहीं काटने का आग्रह किया। इसके बाद से हर महीने 125 करोड़ रुपये का भुगतान करना शुरू कर दिया गया। लेकिन केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा था कि समझौता त्रिपक्षीय है, इसलिए एक पक्षीय फैसले से खत्म नहीं हो सकता।
बहरहाल राज्य सरकार के इस फैसले से केन्द्र और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। राज्य सरकार केन्द्र सरकार से लगातार अपने हिस्से की राशि की मांग कर रही है।
यदि यह मामला लम्बा खींचता है तो न सिर्फ एचईसी के सामने संकट पैदा होगा, बल्कि देश के विकास के रफ्तार पर भी लगाम लगने की आशंका पैदा हो गई है। क्योंकि फिलहाल एचईसी में कई महत्वपूर्ण आयुद्ध सामग्रियों का निर्माण किया जा रहा है और खुद झारखंड के हजारों कामगारों की जीविका भी प्रभावित होने की आशंका पैदा हो गई है।