Ranchi : साहिबगंज के सदर अस्पताल में आदिम जनजाति की बच्ची की इलाज के अभाव में मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने इसको लेकर राज्य सरकार की लचर व्यवस्था पर सवाल उठाया है। इसको लेकर अमर बाउरी ने भी अपने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट जारी कर राज्य सरकार को आड़े हाथो लिया है।
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अमर बाउरी ने कहा कि राज्य में हेमंत सरकार के शासनकाल में सबसे ज्यादा आदिवासी समाज के लोग ही सबसे ज्यादा शोषित और वंचित हैं। इलाज के अभाव में एक 6 साल की छोटी बच्ची ने पिता के गोद में ही दम तोड़ दिया। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आदिम जनजाति के परिवार खतर में है। उनतक तो मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाएं तक नहीं पहुंच पा रही है।
Jharkhand Politics : प्रशासन जिम्मेदारी लेने के बजाय एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहा है-बाबूलाल मरांडी
वहीं बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर मामले में अविलंब कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि आए दिन आदिवासी ख़ासकर विलुप्त हो रहे आदिम जनजाति समाज के भाई-बहनों की मौत ईलाज के अभाव में हो रही है लेकिन प्रशासन जिम्मेदारी लेने के बजाय एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहा है। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएँ का हाल दिन-ब-दिन बदतर होता जा रहा है। साहिबगंज सदर अस्पताल में सिमरिया गांव की आदिम जनजाति पहाड़िया मथियम मालतो की छह साल की बेटी गोमदी पहाड़िन की इलाज के अभाव में मौत हो गई।
Jharkhand Politics : उच्च स्तरीय जाँच कमेटी का गठन किया जाए और कार्रवाई हो
बच्ची के पिता डॉक्टरों की तलाश में इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक भागते रहे, परन्तु कहीं भी डॉक्टर नहीं मिले। इसका नतीजा यह हुआ कि बच्ची ने इलाज के अभाव में पिता की गोद में ही दम तोड़ दिया। विलुप्तप्राय पहाड़िया जनजाति की एक गर्भवती महिला प्रिंसिका महारानी की भी सही समय पर एंबुलेंस और ईलाज न मिल पाने के कारण मौत हो गई। जामताड़ा जिले के करमाटांड प्रखण्ड के नेंगराटांड गांव की है जहाँ अज्ञात बीमारी से पिछले 22 दिनों के अंदर आदिम जनजाति (पहाड़िया) परिवार के 8 सदस्यों की मौत हो गई है। अभी भी 10 से अधिक लोग अलग अलग बीमारी से ग्रसित हैं।
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राज्य की स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह लूट-खसोट में लिप्त है और पैसे लेकर डॉक्टरों को मनचाहा पोस्टिंग देकर स्वास्थ्य सेवाएँ को प्रभावित कर रही है। दूर-दराज के स्वास्थ्य केन्द्रों पर डॉक्टरों का पदस्थापन नहीं रहने के कारण मरीज ईलाज नहीं करा पा रहे हैं। घटनाओं का संज्ञान लेते हुए एक उच्च स्तरीय जाँच कमेटी का गठन कर मौत के रहस्यों को सार्वजनिक करें तथा संलिप्त व्यक्ति/संस्था/ डॉक्टरों/अस्पतालों पर कड़ी करवाई करें।