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भाजपा विधायक भानुप्रताप शाही का डिस्चार्ज पिटिशन खारिज
Ranchi- आय से अधिक संपति के मामले में भाजपा विधायक भानुप्रताप शाही का डिस्चार्ज पिटिशन खारिज, कोर्ट से नहीं मिली कोई राहत.
झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के विधायक भानु प्रताप शाही की आय से अधिक संपत्ति के मामले में झारखंड हाईकोर्ट में जस्टिस करनन कुमार चौधरी के अदालत में सुनवाई हुई.
सभी पक्षों को सुनने के बाद माननीय अदालत ने उन्हें किसी भी प्रकार की राहत देने से इंकार कर दिया है और उनके डिस्चार्ज पिटिशन को खारिज कर दिया है.
एपीपी नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में हुई सुनवाई
झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डा. एसएन पाठक की अदालत में एपीपी नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई.
अदालत ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का अंतिम मौका देते हुए मामले की
अगली सुनवाई 15 जून को निर्धारित की है.
इस संबंध में विमल कुमार झा सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि जेपीएससी ने वर्ष 2018 में
एपीपी की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था.
सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद राज्य सरकार ने बिना कारण बताए नियुक्ति को रद्द कर दिया.
जेपीएससी की ओर से बताया गया कि राज्य सरकार के निर्देश पर ही उन्होंने नियुक्ति को रद्द किया है.
इस पर अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ही बेहतर बता सकती है कि आखिर इस नियुक्ति को क्यों रद्द किया गया है.
राज्य सरकार की ओर से मौखिक रूप से कहा गया कि इसकी नियुक्ति प्रक्रिया में कोविड के चलते काफी बिलंब हुआ है.
कुड़मी जाति को St में शामिल करने की याचिका पर सुनवाई
झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई.
सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
मामले में अगली सुनवाई 10 जून को होगी.
इस संबंध में झारखंड रीजनल कुड़मी मंच की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.
सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि वर्ष 1931 में झारखंड
की कुड़मी जाति अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल थी.
वर्ष 1950 में इसे अनुसूचित जनजाति की सूची से बिना कोई कारण बताए हटा दिया गया.
इस पर अदालत ने सवाल किया 75 साल बाद हाई कोर्ट में उक्त याचिका क्यों दाखिल की गई है.
अदालत इस मुद्दे के लिए उचित फोरम नहीं है.
इस पर प्रार्थी की ओर से कहा गया कि वर्ष 2018 डेविड रिच की किताब में मनुष्य
के जेनेटिक इतिहास के बारे में बताया गया.
इसमें जेनेटिक तौर पर कुड़मी को अनुसूचित जनजाति माना गया है.
इस पर अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार से अपना पक्ष अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है.
रिपोर्ट- प्रोजेश
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