रांची: झारखंड में विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, और राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति और शक्ति प्रदर्शन तेज कर दिए हैं। जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) “संकल्प यात्रा” के जरिए मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) “सम्मान यात्रा” के माध्यम से अपनी उपलब्धियों और वादों को जनता के समक्ष रख रही है। इस बीच, झारखंड की राजनीति में एक नई ताकत के रूप में उभर रही पार्टी, JLKM ने राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। पार्टी के संस्थापक और नेता जयराम महतो के नेतृत्व में यह दल जनता के वास्तविक मुद्दों को उठाकर बड़े राजनीतिक दलों को चुनौती दे रहा है।
संकल्प यात्रा बनाम सम्मान यात्रा
बीजेपी की संकल्प यात्रा राज्यभर में चल रही है, जिसमें पार्टी के प्रमुख नेता विकास, सुशासन और राज्य में बीजेपी की सरकार लाने के अपने संकल्प को दोहरा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा से पार्टी को और गति मिली है। बीजेपी का मुख्य जोर राज्य के विकास को तेज करने, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और रोजगार के अवसर बढ़ाने पर है। पार्टी के मुताबिक, उनका उद्देश्य झारखंड को एक विकसित और आत्मनिर्भर राज्य बनाना है।
वहीं, दूसरी ओर, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली जेएमएम अपनी “सम्मान यात्रा” के माध्यम से सरकार की उपलब्धियों को जनता के सामने रख रही है। सोरेन सरकार का जोर विशेष रूप से आदिवासी और मूलवासी अधिकारों, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार पर रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कहना है कि उनकी सरकार ने गरीबों और वंचितों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं, जो उन्हें पुनः सत्ता में लाने के लिए पर्याप्त हैं।
JLKM की एंट्री: जयराम महतो के नेतृत्व में नया आंदोलन
झारखंड की चुनावी लड़ाई में इस बार सबसे दिलचस्प बात यह है कि JLKM पार्टी ने बड़े दलों को चुनौती देते हुए चुनावी मैदान में कदम रखा है। जेलकेम के नेता जयराम महतो के नेतृत्व में पार्टी ने राज्य में रोजगार, डोमिसाइल नीति और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर एक बड़े आंदोलन की शुरुआत की है। महतो का कहना है कि 24 साल बाद भी राज्य को स्थायी डोमिसाइल नीति नहीं मिल पाई है, जिससे स्थानीय युवा बेरोजगारी और अवसरों की कमी से जूझ रहे हैं।
JLKM ने अपने संघर्षों को सीधे जनता से जोड़ते हुए, राज्य में संसाधनों की लूट, बाहरी तत्वों के हावी होने और स्थानीय लोगों को वंचित किए जाने के मुद्दों पर आवाज उठाई है। पार्टी का कहना है कि राज्य के शहीदों के बलिदान को याद रखते हुए झारखंड को एक नई दिशा में ले जाना जरूरी है। जयराम महतो के नेतृत्व में इस आंदोलन ने राज्य के युवाओं और बेरोजगारों के बीच एक नया उत्साह पैदा किया है, जो पारंपरिक पार्टियों से असंतुष्ट हैं।
जयराम महतो का बढ़ता प्रभाव
लोकसभा चुनाव में जेलकेम ने 85 लाख से अधिक मतों को एक साथ पिरोते हुए अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन के बाद विधानसभा चुनावों में पार्टी की भूमिका पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। JLKM का मानना है कि इस बार का चुनाव युवा शक्ति का चुनाव होगा, और राज्य के बेरोजगार युवा, सरकारी भर्तियों में भ्रष्टाचार, पेपर लीक घोटालों और बाहरी तत्वों के हावी होने से परेशान हैं। यही कारण है कि महतो के नेतृत्व में यह दल विधानसभा चुनाव में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
जयराम महतो के अनुसार, पार्टी इस बार कई सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ेगी। हाल ही में महतो ने घोषणा की थी कि वह डुमरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि अन्य सीटों पर उम्मीदवारों का चयन अभी बाकी है, लेकिन पार्टी ने राज्यभर में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए एक विस्तृत सर्वेक्षण और आकलन शुरू कर दिया है।
चुनावी मैदान में जेलकेम की रणनीति
JLKM की चुनावी रणनीति स्पष्ट है: वे मुद्दों पर आधारित राजनीति करेंगे और जनता के वास्तविक समस्याओं को लेकर चुनाव मैदान में उतरेंगे। बेरोजगारी, डोमिसाइल नीति, स्थानीय संसाधनों की लूट और भ्रष्टाचार उनके प्रमुख चुनावी मुद्दे हैं। पार्टी के नेता मानते हैं कि राज्य के शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों ने जिन सपनों के साथ इस राज्य की नींव रखी थी, उसे साकार करना ही उनका मुख्य उद्देश्य है।
JLKM ने अब तक किसी यात्रा की शुरुआत नहीं की है, क्योंकि उनका मानना है कि वे पिछले ढाई सालों से लगातार आंदोलन और संघर्ष के माध्यम से जनता तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं। पार्टी के नेता रिजवान क्रांतिकारी का कहना है कि जनता अब समझ चुकी है कि उन्हें केवल चुनावी वादों के लिए नहीं बल्कि असल बदलाव के लिए वोट देना चाहिए।
झारखंड के विधानसभा चुनाव में इस बार एक नया मोड़ आ चुका है। जहां पारंपरिक पार्टियां संकल्प और सम्मान यात्राओं के माध्यम से अपनी ताकत दिखा रही हैं, वहीं JLKM ने जनता के बीच सीधे संवाद स्थापित करके अपने आंदोलन को मजबूत किया है। जयराम महतो और उनकी पार्टी इस बार विधानसभा चुनाव में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं।
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